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अकबरनगर में कथित अवैध कब्जे का मामला, जानिए एलडीए की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर न्यायालय ने क्या कहा? - 22 जनवरी की तिथि

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कुकरैल नदी पर कथित अवैध कब्जा कर बसाए गए अकबर नगर में मकानों को ध्वस्तीकरण पर 20 दिसंबर तक रोग लगा दी थी. न्यायालय ने पूर्व से तय 22 जनवरी की तिथि पर एलडीए के प्रार्थना पत्र को भी पेश करने आदेश दिया है

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 23, 2023, 11:37 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अकबरनगर में कथित अवैध कब्जों के मामले में एलडीए की ओर से दाखिल एक प्रार्थना पत्र पर कहा है कि 'वहां पुनर्वास योजना के लिए आवेदन न करने वालों के भाग्य का फैसला अगली सुनवाई पर होगा.' न्यायालय ने पूर्व से तय 22 जनवरी की तिथि पर एलडीए के प्रार्थना पत्र को भी पेश करने आदेश दिया है, साथ ही मामले को टॉप 10 केसेज में सूचीबद्ध करने को कहा है.

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने अकबरनगर मामले में पारित 21 दिसंबर के आदेश में संशोधन की मांग वाले एलडीए के प्रार्थना पत्र पर पारित किया. एलडीए की ओर से दाखिल उक्त प्रार्थना पत्र में 21 दिसंबर के उस आदेश में संशोधन का अनुरोध किया गया है, जिसके द्वारा न्यायालय ने अकबरनगर में ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी थी. मांग की गई है कि अकबरनगर वन और टू के निवासियों को भी निर्देशित किया जाए कि वह 31 दिसंबर 2023 तक उनके लिए लाई गई, पुनर्वास योजना में पंजीकरण के लिए आवेदन दे दें. यह भी मांग की गई थी कि वैकल्पिक आवासों के आवंटन के पश्चात एक सप्ताह के भीतर वहां के निवासी शिफ्ट हो जाएं और यदि वह पंजीकरण के लिए आवेदन नहीं देते अथवा आवंटन के पश्चात शिफ्ट नहीं होते तो एलडीए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होगा. यह भी कहा गया कि वैकल्पिक आवासों की यह व्यवस्था मात्र आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए है, लेकिन उदार दृष्टिकोण अपनाते हुए, एलडीए उन्हें भी वैकल्पिक दुकानें व आवास दे रहा है जो गरीबी रेखा से बहुत ऊपर हैं. एलडीए ने यह भी मांग की है कि 21 दिसंबर का आदेश सिर्फ याचियों के मामलों पर ही लागू हो, अन्य व्यक्तियों पर नहीं क्योंकि वर्तमान मामला जनहित याचिका से जुड़ा नहीं है.


न्यायालय ने प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के पश्चात शुक्रवार को पारित अपने आदेश में कहा कि याचीगण उक्त प्रार्थना पत्र पर अपना जवाब दाखिल करें. न्यायालय ने कहा कि इस दौरान सिर्फ यह संकेत दिया जा सकता है कि पुनर्वास योजना के लिए आवेदन न करने वालों के भाग्य का फैसला अगली सुनवाई पर होगा.

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