लखनऊ: कोरोना संकट के बीच उत्तर प्रदेश की 7 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं और धीरे-धीरे अपना चुनाव प्रचार धीरे आगे बढ़ा रहे हैं. इस उपचुनाव जहां एक तरफ भाजपा संगठन के साथ-साथ योगी सरकार के कामकाज की परीक्षा होगी. वहीं विपक्षी पार्टियों सपा, बसपा और कांग्रेस पार्टी के संगठन की मजबूती और जनता के बीच उनकी पकड़ की परीक्षा होगी.
यूपी उपचुनाव में योगी सरकार के साथ विपक्ष की भी होगी परीक्षा. चुनाव परिणाम बताएंगे जनता का रुझान
उपचुनाव वाली जिन 7 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. उनमें 6 सीटों पर भाजपा 2017 के चुनाव में जीत दर्ज की थी, जबकि एक सीट सपा के पास थी. साढ़े 3 साल बाद उपचुनाव हो रहे हैं, ऐसे में सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी और योगी सरकार के कामकाज के प्रति जनता कितना भरोसा जताई है ये चुनाव नतीजों के बाद ही पता चलेगा. योगी सरकार ने कानून-व्यवस्था में सुधार और विकास को धरातल तक ले जाने जैसे तमाम दावे किए गए हैं. इन दावों पर जनता किस प्रकार से अपना विश्वास जगाती है, ये 10 नवंबर को पता चलेगा.
विपक्ष सरकार पर है हमलावर
उत्तर प्रदेश में भाजपा के दावों के विपरीत विपक्ष योगी सरकार के कामकाज की पोल खोल रहा है, जो घटनाएं घट रही हैं उनको लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर निशाना साध रहा है. विपक्ष ध्वस्त कानून व्यवस्था से लेकर विकास के मामलों में सरकार को फ्लॉप बता रहा है. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में हुई बड़ी घटनाओं में भी सरकार को विपक्ष की तरफ से लगातार कटघरे में खड़ा किया जाता रहा है. ऐसे में उपचुनाव परिणाम में विपक्ष किस प्रकार की भूमिका अदा करेगा जनता के बीच विपक्षी दलों की कितनी पकड़ और पहुंच बढ़ी है या फिर घटी है, इस बात का उत्तर भी उपचुनाव के परिणाम देंगे.
इन सात विधानसभा सीटों पर हैं उपचुनाव
उत्तर प्रदेश की जिन 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. उनमें फिरोजाबाद की टूंडला, उन्नाव की बांगरमऊ, बुलंदशहर की बुलंदशहर सदर, जौनपुर की मल्हनी, कानपुर की घाटमपुर, अमरोहा की नौगांव सादात, देवरिया की देवरिया सदर सीट शामिल है.
6 सीट पर भाजपा 1 पर सपा का था कब्जा
जिन 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. इनमें 6 पर भारतीय जनता पार्टी व एक पर समाजवादी पार्टी का कब्जा था. अब भारतीय जनता पार्टी व समाजवादी पार्टी के सामने अपना प्रदर्शन दोहराते हुए और अधिक बेहतर करने की चुनौती है.
योगी सरकार के कामकाज की होगी परीक्षा
योगी सरकार उत्तर प्रदेश में साढ़े 3 का कार्यकाल पूरा कर चुकी है. सरकार के कामकाज और कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष की तरफ से तमाम तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. ऐसे में इस उपचुनाव में बीजेपी सरकार के कामकाज की परीक्षा होगी. ऐसी स्थिति में भाजपा कितनी सीटों पर विजय हासिल करती है यह भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है. वहीं, 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दल इस उपचुनाव में बड़ी जीत हासिल कर एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं.
'विपक्ष सकारात्मक भूमिका नहीं अदा कर पा रहा है'
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि देखिए अभी जिन 7 सीटों पर चुनाव हो रहा है उनमें 6 सीट भाजपा के पास हैं और एक सीट समाजवादी पार्टी के पास है. तो इसका मतलब यह है कि विपक्ष के पास खोने को बहुत कुछ नहीं है और अगर जो कुछ भी बढ़ता है तो इसे विपक्ष का फायदा होगा. लेकिन पिछले साढ़े 3 साल में विपक्ष की जिस प्रकार से भूमिका रही है. उससे वह कोई सकारात्मक रुझान अपनी तरफ नहीं कर पाया है. विपक्ष अपनी तरफ कोई सकारात्मक बदलाव भी करा पाने की स्थिति में फिलहाल नजर नहीं आ रहा है.
'घटनाओं में अंतर भी देखता रहा है विपक्ष'
विपक्ष हाथरस की घटना पर गया, लेकिन बलरामपुर में घटना हुई तो विपक्ष के लोग वहां नहीं गए तो यह किस प्रकार से संदेश देना चाहते हैं. उसको भी सब लोग समझ रहे हैं. वहीं उत्तर प्रदेश सरकार अपने विकास के एजेंडे पर लगातार आगे बढ़ रही है. गेहूं खरीद हो या धान खरीद सहित अन्य मुद्दों पर सरकार काम कर रही है. विपक्ष का मजबूत होना प्रजातंत्र में जरूरी है, लेकिन ऐसी कोई रणनीति नहीं बना पाया है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी अगर मजबूत होती है, तो सपा और बसपा में बेचैनी हो जाती है. दूसरी पार्टी सक्रिय होती है तो अन्य पार्टी को दिक्कत होती है. मैं समझता हूं कि विपक्ष फिलहाल इन स्थितियों उठाने की स्थिति में नहीं है. उनकी इच्छाशक्ति इस रूप में अभी नजर नहीं आ रही है.