लखनऊ. उत्तर प्रदेश के नागरिकों को प्रदूषण रहित और सुविधाओं से लैस पब्लिक ट्रांसपोर्ट के जरिए गंतव्य तक पहुंचाने के लिए योगी सरकार ने बड़ी तैयारी की है. 2020 में इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इलेक्ट्रिक बस की संकल्पना को मूर्त रूप दिया गया था और देखते ही देखते दो वर्षों में यह 14 बड़े शहरों (583 electric buses in 14 cities) में लागू हो चुकी है. इनमें शुरुआत में कुल 700 बसों की फ्लीट चलाने का लक्ष्य रखा गया था, जिनमें से दो लॉट में कुल 614 बसों की डिलीवरी हो चुकी है. वहीं, 583 बसों का संचालन भी हो रहा है. जल्द ही 86 बसें भी डिलीवर हो जाएंगी, जिसके बाद इन शहरों में पूरी फ्लीट कंप्लीट हो जाएगी. वहीं, जिन शहरों में अभी इलेक्ट्रिक बसों की शुरूआत नहीं हो सकी है, वहां भी इसकी संभावनाओं पर तेजी से काम किया जा रहा है. इनके संचालन से पर्यावरण को भी डीजल-पेट्रोल बसों के खतरनाक धुएं से निजात मिल रही है.
इन शहरों में सबसे बड़ी फ्लीट :प्रदेश में सबसे ज्यादा आगरा, लखनऊ और कानपुर में बसों की फ्लीट दौड़ रही है. इन शहरों में 100-100 बसें चलाने का लक्ष्य है, जिसमें से आगरा में 76, लखनऊ में 100 और कानपुर में 82 बसें संचालित हो रही हैं. लखनऊ और कानपुर में सभी 100 बसों की डिलीवरी की जा चुकी है तो आगरा में 89 बसों की डिलीवरी हो चुकी है. अन्य शहरों की बात करें तो मथुरा-वृंदावन, वाराणसी और प्रयागराज में 50-50 बसों की फ्लीट संचालित हो रही है. वहीं, गाजियाबाद और मेरठ में 30-30, अलीगढ़, गोरखपुर और झांसी में 25-25 व बरेली, मुरादाबाद और शाहजहांपुर में 10 बसों की फ्लीट दौड़ रही है. कुल मिलाकर प्रदेश के 14 शहरों में 583 बसें संचालित हो रही हैं, जबकि कुल 614 बसों की डिलीवरी पूरी हो चुकी है.
315 करोड़ की दी गई सब्सिडी :बीते दिनों मुख्य सचिव डीएस मिश्रा की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन से जुड़ा प्रस्तुतिकरण किया गया. इसके मुताबिक 11 मार्च 2020 को बस ऑपरेटर एग्रीमेंट के तहत यूपी में इलेक्ट्रिक बसों को चलाने का फैसला लिया गया था. इस पूरे प्रोजेक्ट की कुल कॉस्ट 966 करोड़ है, जिसमें 315 करोड़ रुपए की सब्सिडी प्रदान की गई है. इसमें भारत सरकार की ओर से 270 करोड़ तो यूपी सरकार की ओर से 45 करोड़ रुपए की सब्सिडी शामिल है. यह पूरा प्रोजेक्ट फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक एंड हाईब्रिड व्हीकल्स इन इंडिया (फेम-2) के तहत शुरू किया गया है. फेम-1 की शुरुआत 2010 में हुई थी जब जेएनएनयूआरएम के तहत सिटी बस सर्विस की जिम्मेदारी यूपीएसआरटीसी को दी गई. इस प्रोजेक्ट के तहत कुल 1140 बसों की फ्लीट को सड़क पर उतारा गया था. हालांकि, इसमें इलेक्ट्रिक बसें महज 40 ही थीं, जिन्हें 2018 में सबसे पहले लखनऊ में उतारा गया. यह प्रोजेक्ट सिर्फ सात शहरों के लिए था, जिसमें कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, आगरा और मथुरा शामिल थे.
यह भी पढ़ें : मंत्री को नदारद मिले पीडब्ल्यूडी मुख्यालय के अधिकांश कर्मचारी, होगा एक्शन
फेम-2 में जोड़े गए 7 शहर :फेम-1 में जहां सिर्फ सात शहरों को शामिल किया गया था तो फेम-2 में सात अन्य शहरों को भी इसमें जोड़ दिया गया. इसके तहत जो 700 इलेक्ट्रिक बसें प्रस्तावित की गई थीं, उनमें से 600 को फेम-2 के तहत सैंक्शन किया गया तो 100 बसें उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सैंक्शन हुईं. प्रदेश सरकार की ओर से सैंक्शन बसों को मथुरा-वृंदावन, शाहजहांपुर और गोरखपुर में संचालित किया जा रहा है.
यह भी पढ़ें : फूड एक्सपो 2022, एपीसी ने कहा, टेक्सटाइल के बाद फूड सेक्टर में ज्यादा रोजगार