मेरठ: मेरठ डिपो में उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (Uttar Pradesh State Road Transport Corporation) की कुल 123 बसें हैं, लेकिन इन बसों में से करीब 40 बसें एक माह से भी अधिक समय से बिना पहियों के वर्कशॉप में खड़ी हैं. निगम के स्थानीय अफसरों का कहना है कि उनके स्तर से लगातार लखनऊ मुख्यालय पर अवगत कराया जा रहा है. चौंकाने वाली बात यह है कि मेरठ डिपो (Meerut Depot) की अधिकतर बसें प्रदेश के जिलों तक तो संचालित होती ही हैं. साथ ही कई अन्य राज्यों के लिए भी मेरठ डिपो (Meerut Depot) से संचालित होती हैं. बावजूद इसके मेरठ डिपो का बुरा हाल है.
यहां बसों को पहियों की कमी के चलते वर्कशॉप में खड़ा कर दिया जाता है. मैकेनिक और चालक परिचालकों का कहना है कि यहां की स्थिति बहुत खराब है. कुछ बसों का संचालन तो इस तरह से किया जा रहा है कि जो बसें पहले से खड़ी हैं, उसका पहिया दूसरी बसों में फिक्स करके काम चलाया जा रहा है. मैकेनिक बताते हैं कि करीब 40 बसें मेरठ डिपो की इस वक्त पहियों का इंतजार कर रही हैं.
वहीं चालक-परिचालकों का कहना है कि उन्हें भी बसों के पहियों की कमी के चलते दिक्कतें हो रही हैं, तो वहीं जो निगम की बसों पर संविदाकर्मचारी हैं, उनके सामने तो बड़ी समस्या है. रोडवेज चालकों का कहना है कि उन्हें बसें कम संचालित होने की वजह से न चाहकर भी अवकाश लेना पड़ता है.
संविदाकर्मियों की हालत तो और भी खराब होती जा रही है. वो कहते हैं कि उन्हें लगभग 2 रुपया प्रति किलोमीटर की दर से भुगतान होता है, लेकिन बसों में पहिए न होने की वजह से उन्हें हर दिन डिपो से वापिस घर लौटना पड़ता है. वहीं कुछ अन्य ने बताया कि वो लोग इतनी महंगाई में ड्यूटी न कर पाने की वजह से आर्थिक संकट में हैं.