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125 सीट के राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में 80 बेड का हॉस्टल, मरीजों ने कही ये बात

राजधानी में स्थित राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल काॅलेज में सैकड़ों मरीज रोजाना इलाज के लिए आते हैं. मौजूदा समय में यहां 125 सीट का मेडिकल काॅलेज है.

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Published : May 10, 2023, 6:50 PM IST

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लखनऊ : राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय की ओपीडी में रोजाना 800 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं और अस्पताल की सबसे ज्यादा चलने वाली ओपीडी चर्म रोग विभाग की है, जहां पर रोजाना 400 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं. मरीजों का मानना है कि होम्योपैथिक दवा चर्म रोग के लिए काफी फायदेमंद होती है और यह दवा बीमारी को जड़ से समाप्त करती है. इसके अलावा गठिया का इलाज यहां मरीज कराने आते हैं. राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय में केंद्र सरकार के द्वारा एसडीआरआई के तहत भी ओपीडी चल रही है. होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की सबसे बड़ी समस्या हॉस्टल को लेकर हो रही है, क्योंकि यहां पर पहले 50 सीट का मेडिकल कॉलेज था तो यहां पर 80 बेड की क्षमता का हॉस्टल उपलब्ध था, लेकिन मौजूदा समय में 125 सीट का मेडिकल कॉलेज है और अभी भी 80 बेड की क्षमता का ही हॉस्टल होने के कारण जो स्टूडेंट यहां पर आ रहे हैं उन्हें काफी दिक्कत हो रही है, एक रूम में चार से पांच स्टूडेंट्स को शिफ्ट किया गया है. ज्यादा दिक्कत महिला छात्रावास में हो रही है.

राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज

इलाज के लिए होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज आए विमल शर्मा ने कहा कि 'अस्पताल में इलाज अच्छा होता है. यहां पर किसी को सोर्स की आवश्यकता नहीं होती है. होम्योपैथिक में हमेशा से विश्वास रहा है. कई बार यहां पर इलाज के लिए आए हैं अच्छी व्यवस्था मिली है. कोई भी चीज यहां पर इधर से उधर नहीं है. दवा भी अस्पताल से ही उपलब्ध हो जाती है. बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि मेरा विश्वास उस समय और भी ज्यादा बढ़ गया जब मेरी ड्यूटी को गले पर गिल्टी हो गई थी. एलोपैथिक में इतना इलाज चला, लेकिन सही नहीं हुआ. फिर उसके बाद होम्योपैथिक में इलाज के दौरान पूरी तरह से गिल्टी खत्म हो गई थी. तब से मेरा विश्वास होम्योपैथिक पर बना हुआ है, वहीं आरएफ राठौर ने कहा कि जहां पर अच्छा इलाज होता है चर्म रोग से संबंधित जितने भी मरीज होते हैं. वह संतुष्ट होकर यहां से वापस लौटते हैं. मेरी फैमिली में उन लोग का इलाज यहीं से चल रहा है जो ठीक हुए हैं. अभी हमें अपना इलाज कराना है मुझे डायबिटीज है. डायबिटीज को किस तरह से कंट्रोल में किया जाए इसलिए मैं आया हूं. ममता शुक्ला ने कहा कि 'अपना इलाज कराने के लिए अस्पताल आई हैं. यहां पर अच्छा इलाज होता है, लेकिन मैं केंद्र सरकार के द्वारा लगाई गई ओपीडी में इलाज करवाती हूं, मुझे इनकी गई दवा से ज्यादा आराम हुआ है. एलोपैथ दवाओं का सेवन अत्यधिक करने के कारण किडनी और लीवर पब्लिक इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. होम्योपैथ सबसे अच्छा तरीका है जिससे बीमारी भी खत्म हो जाती है और दवाओं का दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है.'

राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डीके सोनकर ने कहा कि 'मेडिकल कॉलेज में मरीज को भर्ती किया जाता है यह सही बात है कि जो मुझे यहां पर भर्ती होते हैं उन्हें ग्लूकोज नहीं चढ़ाया जाता है या फिर उनका यहां पर ऑपरेशन है किया जाता है, लेकिन दवाओं के जरिए मरीज को ठीक किया जाता है, इसलिए मरीज को भर्ती करते हैं और दबाव के सेवन के बाद पता लगता है कि दवा से मरीज ठीक हो रहा है या नहीं फिर उसके बाद उसे डिस्चार्ज करते हैं. इस सारी प्रक्रिया में कभी-कभी चार से पांच दिन मरीज को भर्ती करते हैं और मरीज को यहां पर सारी व्यवस्थाएं मिलती हैं. दोनों समय के नाश्ते और दोनों समय के खाने की व्यवस्था होती है.'

राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज

होम्योपैथिक अस्पताल में भर्ती कानपुर के प्रेम प्रकाश ने कहा कि 'गले में एक गांठ पड़ गई थी, क्योंकि तंबाकू गुटके सुपारी का सेवन अधिक करते थे, जिस कारण यह समस्या उत्पन्न हुई हर जगह इलाज कराकर देख लिया, लेकिन एलोपैथिक में सर्जरी के लिए कहा गया फिर होम्योपैथिक कॉलेज आने के लिए घर के सदस्य ने बताया कि यहां पर 13 दिन से भर्ती हैं और यहां की दवा से काफी आराम हो रहा, वहीं एक ओर 17 वर्षीय अंजली उपाध्यक्ष थायराइड की शिकायत है. बहुत से डॉक्टरों ने ऑपरेशन कराने की सलाह दी, लेकिन ऑपरेशन नहीं करवाना चाह रहे थे, इसलिए होम्योपैथ मेडिकल कॉलेज में आकर दिखाया यहां पर डॉक्टर ने बोला कि ठीक हो जाएगा ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं है, इसलिए यहां पर भर्ती हैं और दवाओं का असर हो रहा है. पहले खाने में दिक्कत होती थी, लेकिन अब धीरे-धीरे करके समस्याएं दूर हो रही हैं.'



राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय की प्रिंसिपल डॉ. डीके सोनकर ने बताया कि 'अस्पताल में रोजाना 800 से हजार मरीज इलाज के लिए आ जाते हैं. मेडिकल कॉलेज में नौ प्रोफेसर होने चाहिए. फिलहाल सात प्रोफेसर तैनात हैं, जबकि सर्जरी और गायनी में प्रोफेसर नहीं हैं, जिस कारण स्टूडेंट्स को भी नुकसान हो रहा है, वहीं पांच एसोसिएट प्रोफेसर (रीडर) तैनात हैं. फार्मासिस्ट व स्टाफ नर्स कर्मचारी 23, चतुर्थ क्लास कर्मचारी कुल 15 हैं. एमओ और आर एमआरओ (अस्पताल स्टाफ) छह हैं. रेगुलर 17 टीचर हैं, जबकि संविदा पर 16 टीचर तैनात हैं. यूपी में 125 सीट हैं, जबकि एमडी में 23 सीट हैं.'

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