लखनऊ : राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय की ओपीडी में रोजाना 800 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं और अस्पताल की सबसे ज्यादा चलने वाली ओपीडी चर्म रोग विभाग की है, जहां पर रोजाना 400 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं. मरीजों का मानना है कि होम्योपैथिक दवा चर्म रोग के लिए काफी फायदेमंद होती है और यह दवा बीमारी को जड़ से समाप्त करती है. इसके अलावा गठिया का इलाज यहां मरीज कराने आते हैं. राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय में केंद्र सरकार के द्वारा एसडीआरआई के तहत भी ओपीडी चल रही है. होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की सबसे बड़ी समस्या हॉस्टल को लेकर हो रही है, क्योंकि यहां पर पहले 50 सीट का मेडिकल कॉलेज था तो यहां पर 80 बेड की क्षमता का हॉस्टल उपलब्ध था, लेकिन मौजूदा समय में 125 सीट का मेडिकल कॉलेज है और अभी भी 80 बेड की क्षमता का ही हॉस्टल होने के कारण जो स्टूडेंट यहां पर आ रहे हैं उन्हें काफी दिक्कत हो रही है, एक रूम में चार से पांच स्टूडेंट्स को शिफ्ट किया गया है. ज्यादा दिक्कत महिला छात्रावास में हो रही है.
इलाज के लिए होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज आए विमल शर्मा ने कहा कि 'अस्पताल में इलाज अच्छा होता है. यहां पर किसी को सोर्स की आवश्यकता नहीं होती है. होम्योपैथिक में हमेशा से विश्वास रहा है. कई बार यहां पर इलाज के लिए आए हैं अच्छी व्यवस्था मिली है. कोई भी चीज यहां पर इधर से उधर नहीं है. दवा भी अस्पताल से ही उपलब्ध हो जाती है. बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि मेरा विश्वास उस समय और भी ज्यादा बढ़ गया जब मेरी ड्यूटी को गले पर गिल्टी हो गई थी. एलोपैथिक में इतना इलाज चला, लेकिन सही नहीं हुआ. फिर उसके बाद होम्योपैथिक में इलाज के दौरान पूरी तरह से गिल्टी खत्म हो गई थी. तब से मेरा विश्वास होम्योपैथिक पर बना हुआ है, वहीं आरएफ राठौर ने कहा कि जहां पर अच्छा इलाज होता है चर्म रोग से संबंधित जितने भी मरीज होते हैं. वह संतुष्ट होकर यहां से वापस लौटते हैं. मेरी फैमिली में उन लोग का इलाज यहीं से चल रहा है जो ठीक हुए हैं. अभी हमें अपना इलाज कराना है मुझे डायबिटीज है. डायबिटीज को किस तरह से कंट्रोल में किया जाए इसलिए मैं आया हूं. ममता शुक्ला ने कहा कि 'अपना इलाज कराने के लिए अस्पताल आई हैं. यहां पर अच्छा इलाज होता है, लेकिन मैं केंद्र सरकार के द्वारा लगाई गई ओपीडी में इलाज करवाती हूं, मुझे इनकी गई दवा से ज्यादा आराम हुआ है. एलोपैथ दवाओं का सेवन अत्यधिक करने के कारण किडनी और लीवर पब्लिक इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. होम्योपैथ सबसे अच्छा तरीका है जिससे बीमारी भी खत्म हो जाती है और दवाओं का दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है.'
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डीके सोनकर ने कहा कि 'मेडिकल कॉलेज में मरीज को भर्ती किया जाता है यह सही बात है कि जो मुझे यहां पर भर्ती होते हैं उन्हें ग्लूकोज नहीं चढ़ाया जाता है या फिर उनका यहां पर ऑपरेशन है किया जाता है, लेकिन दवाओं के जरिए मरीज को ठीक किया जाता है, इसलिए मरीज को भर्ती करते हैं और दबाव के सेवन के बाद पता लगता है कि दवा से मरीज ठीक हो रहा है या नहीं फिर उसके बाद उसे डिस्चार्ज करते हैं. इस सारी प्रक्रिया में कभी-कभी चार से पांच दिन मरीज को भर्ती करते हैं और मरीज को यहां पर सारी व्यवस्थाएं मिलती हैं. दोनों समय के नाश्ते और दोनों समय के खाने की व्यवस्था होती है.'