लखनऊः कोरोना काल में राजधानी लखनऊ में बिजली की निर्बाध आपूर्ति के आदेश दिए गए थे. लोगों को बेहतर सुविधा देने के साथ-साथ बिजली बिलों का भुगतान करने के लिए सभी उपकेंद्रों के साथ-साथ बिल भुगतान की सुविधा को सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक जारी रखा गया. उसके बावजूद भी पिछले 2 महीनों में मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के राजस्व में कमी आई है. लखनऊ में 900000 बिजली घरेलू उपभोक्ता हैं लेकिन बीते 2 महीनों में केवल 540000 उपभोक्ताओं ने ही बिजली का भुगतान किया है. वहीं, कमर्शियल उपभोक्ताओं ने भी बड़े स्तर पर बिजली बिलों की भुगतान नहीं किया है. ऐसे में मध्यांचल को केवल घरेलू और कमर्शियल मिलाकर 40 फीसदी राजस्व की प्राप्ति हुई है. सामान्य तौर पर 90 फीसदी बिजली उपभोक्ता अपने बिलों का भुगतान करते हैं.
मध्यांचल के राजस्व में 50 फीसदी की आई कमी
राजधानी लखनऊ में अप्रैल और मई महीने में कोरोना संक्रमण के चलते जहां विद्युत की निर्बाध आपूर्ति जारी रखी गई लेकिन इस दौर में लॉकडाउन के चलते जहां व्यापार पूरी तरह से ठप रहा, वहीं दूसरी तरफ होटल ,रेस्टोरेंट और शॉपिंग मॉल के संचालकों ने भी अपने विद्युत बिलों का भुगतान कम किया. इस बार घरेलू और कमर्शियल मिलाकर 40 फीसदी ने ही भुगतान किया, जो लक्ष्य के सापेक्ष 50 फीसदी कम है.
40 फीसदी लोगों ने ही किया बिजली बिलों का भुगतान
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बिजली बिलों के भुगतान में भारी कमी आई है. कोरोना संक्रमण काल में पहले की तुलना में बहुत कम लोगों ने बिलों का भुगतान किया है.
ये बोले अधिकारी
मध्यांचल के प्रबंध निदेशक सूर्यपाल गंगवार ने बताया कि लखनऊ में 900000 पंजीकृत उपभोक्ता हैं. बीते 2 महीनों में सामान्य दिनों की अपेक्षा केवल 40 फीसदी लोगों ने ही बिजली बिल का भुगतान किया है.
कोरोना के चलते घाटे में पहुंच गई हैं बिजली कंपनियां
उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण की व्यवस्था पहले से काफी अच्छी हुई है. वहीं जिलों में जहां 22 घंटे तक बिजली की आपूर्ति हो रही है. बड़े शहरों में 24 घंटे बिजली देने के आदेश हैं लेकिन पिछले 1 साल से ज्यादा समय से चल रहे कोरोना संक्रमण के कारण बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं से बिजली बिलों का पूरा भुगतान नहीं वसूल पा रही हैं. अकेले मध्यांचल की ही बात करें तो उसके राजस्व में करीब 50 फीसदी की कमी आई है.
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नहीं है सख्ती
कोरोना संक्रमण काल के चलते ऊर्जा मंत्री का भी बिजली उपभोक्ताओं पर बिजली बिल को लेकर सख्ती नहीं की है. बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं पर बकाया बढ़ रहा है. दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि 2022 के विधानसभा चुनाव के चलते बकायेदारों पर ढील बरती जा रही है.