लखनऊ: लॉकडाउन की वजह से स्कूल-कॉलेज सहित सभी प्रतिष्ठित संस्थान बंद कर दिए गए हैं. इस दौरान बच्चों की शिक्षा बाधित न हो, इसके लिए ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था लागू की गई. लगभग सभी विद्यालयों के शिक्षकों ने डिजिटल साधनों का सहारा लेते हुए लॉकडाउन के समय विद्यार्थियों का कोर्स पूरा करने का प्रयास किया है.
कोर्स पूरा करना जरूरी
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए बीते 23 मार्च से लॉकडाउन की घोषणा की गई थी. हालांकि पांच पाली में पड़े इस लॉकडाउन में बहुत से कार्य ठप हुए और फिर अनलॉक के दौरान कुछ संस्थानों को खोलने की अनुमति दी गई. इस दौरान शिक्षा प्रणाली का भी बाधित होना लाजिमी था. लॉकडाउन के शुरुआती दिनों से ही ऑनलाइन क्लास की शुरुआत कर दी गई थी.
इस बीच केंद्र सरकार की गाइडलाइन आने के बाद तमाम अन्य स्कूलों ने भी ऑनलाइन क्लासेज लेना शुरू कर दिया, ताकि विद्यार्थियों का कोर्स पूरा हो सके. ऑनलाइन क्लासेज में शिक्षक डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग कर अपने घर पर रहकर ही कक्षाएं संचालित करते हैं और विद्यार्थी अपने घर पर रहकर क्लास में शामिल होते हैं.
देखा जाए तो इस समय कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा एक जरूरत बन गई है. हालांकि ऑनलाइन क्लासेज एक तरफ जहां फायदेमंद हैं, वहीं दूसरी तरफ नुकसानदेह भी है.
ऑनलाइन क्लासेज के नुकसान
ऑनलाइन क्लास में बच्चों को तमाम समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. कमजोर इंटरनेट एक बड़ी समस्या है. नेटवर्क की समस्या के चलते बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है. क्लास के बीच में कभी-कभी आवाज स्पष्ट नहीं आती, जिसके चलते बच्चे अपनी बात को शिक्षक के समक्ष स्पष्ट तरीके से नहीं रखे पाते.
कई विषय बिना प्रैक्टिकल प्रयास के पूरे नहीं कराए जा सकते. जैसे विज्ञान के प्रैक्टिकल, शिल्प, शारीरिक शिक्षा, डिजाइनिंग में विद्यार्थियों को व्यावहारिक शिक्षा की जरुरत होती है. इन विषयों को दूर से यानि केवल ऑनलाइन तरीके से पढ़ाना मुश्किल होता है.
ऑनलाइन क्लासेज में शत प्रतिशत बच्चे भी शिक्षा से नहीं जुड़ पा रहे हैं. ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के काफी परिवार ऐसे है, जहां एक ही मोबाइल है या फिर अच्छा नेटवर्क कनेक्शन नहीं है.
ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. लगातार फोन व लैपटॉप देखने से बच्चों के आंखों पर प्रभाव पड़ता है. इससे धुंधला दिखना, आंखों में जलन और दर्द की शिकायत होती है. अक्सर ये कहा जाता है कि बच्चों को फोन और इलेकट्रॉनिक डिवाइस से दूर रखा जाए, लेकिन कोरोना के इस काल में अभिभावकों की यह मजबूरी बन गई है कि वह ऑनलाइन शिक्षा का सहारा लें.
ऑनलाइन क्लासेज के फायदे
ऑनलाइन शिक्षा के दौरान डिजिटिल प्लेटफॉर्म के जरिए छात्र दुनिया भर के प्रतिष्ठित संस्थानों के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों से जुड़कर विषयों से संबंधित जानकारी ले सकते हैं. बच्चों को कोचिंग व स्कूल के लिए बाहर नहीं जाना पड़ रहा है, जिससे उनका काफी समय बच रहा है. इस शेष समय में वह घर पर रहकर सेल्फ स्टडी कर सकते हैं. साथ ही बच्चों को रोजमर्रा की थकान और भाग दौड़ की जिंदगी से राहत मिलती है.
समय की जरूरत है ऑनलाइन शिक्षा
स्कूल टीचर वंदना ने बताया कि ऑनलाइन क्लास आज के समय की जरूरत है. हम सभी चाहते हैं कि बच्चों की पढ़ाई किसी भी तरह से बाधित न हो, उनका साल बर्बाद न जाये. इसके लिए ऑनलाइन शिक्षा ही एक अच्छा तरीका है. कोरोना काल में बच्चों को स्कूल भेजने से अच्छा है कि हम उनकी ऑनलाइन पढ़ाई में मदद करें. अभिभावकों के सहयोग के बिना क्लासेज चलाना भी संभव नहीं है.
अभिभावक दीपक शुक्ला का कहना है कि ऑनलाइन क्लासेज में कोई अतिरिक्त खर्च नहीं बढ़ा है. शहर में ज्यादातर परिवारों के पास फोन, लैपटॉप और नेट की पर्याप्त सुविधा है. हालांकि नुकसान यह है कि बच्चे ऑनलाइन क्लास में पूरे मनोयोग से शामिल नहीं हो पा रहे हैं. घर में अन्य गतिविधियों पर भी बच्चों की नजर होती है. बच्चों का एकाग्र होना क्लासेज के लिए बेहद जरूरी है.