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प्याज, टमाटर और लहसुन के दाम में गिरावट, अन्य सब्जियों की कीमत में कोई राहत नहीं

सब्जियों की कीमत में हुई बढ़ोतरी का सिलसिला लगातार जारी है. महंगाई का असर आम आदमी की रसोई और उसकी थाली में साफ दिख रहा है. आलम यह है कि रोजाना की जरूरत के सामानों के साथ हरी सब्जियों के भाव (green vegetables prices) भी आसमान छू रहे हैं. फिलहाल आम आदमी की थाली (common man's plate) से हरी सब्जियां अभी दूर ही रहेंगी.

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Published : Nov 7, 2022, 6:31 AM IST

लखनऊ : सब्जियों की कीमत में हुई बढ़ोतरी का सिलसिला लगातार जारी है. महंगाई का असर (effect of inflation) आम आदमी की रसोई और उसकी थाली में साफ दिख रहा है. आलम यह है कि रोजाना की जरूरत के सामानों के साथ हरी सब्जियों (green vegetables) के भाव भी आसमान छू रहे हैं. फिलहाल आम आदमी की थाली (common man's plate) से हरी सब्जियां अभी दूर ही रहेंगी.

व्यापरियों का कहना है कि ज्यादा बारिश होने के कारण सब्जियों की फसल बर्बाद (vegetable crop wasted) हुई है. इसलिए सब्जियों की पैदावार (production of vegetables) कम हो गया है. यही कारण है कि प्रदेश में सब्जियों के दाम बढ़े हुए हैं. वहीं प्रदेश के बाहर से सब्जियां आयात करने (importing vegetables from outside the state) पर काफी लागत आ रही है. यही कारण है कि सब्जियों के दाम बढ़े हुए हैं.

सोमवार (7 नवंबर) को मंडी में (State Mandis) में आलू रु 25 किलो, प्याज रु 30 किलो, टमाटर रु 60 किलो, नीबू रु80 किलो, करेला रु50 किलो, लौकी रु30 किलो, भिंडी रु40 किलो, कद्दू रु25 किलो, लहसुन रु60 किलो, तरोई रु40 किलो, पालक रु40 किलो, मिर्च रु70 किलो, गोभी 35 रु/पीस, गाजर रु80 किलो, परवल रु80 किलो, सेम रु 100 किलो, शिमला मिर्च रु 60 किलो, धनिया रु 140 किलो बिका. व्यापारियों का कहना है कि पिछले दिनों हुई बारिश के चलते सब्जियां खेतों में ही खराब हो गई थीं. फिलहाल अभी सब्जियों के दाम में कोई गिरावट नहीं होने वाली है.

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