लखनऊ: कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने एक अहम फैसला लिया है, जिसके तहत प्रदेश के सभी विधायकों और मंत्रियों के वेतन भत्ते सहित उनके एक साल की निधि से 1,526 करोड़ रुपये प्रदेश सरकार की ओर से कोराना संकट के लिए बनाए गए 'कोविड केयर फंड' में दिया जाएगा.
विधायकों और मंत्रियों के वेतन भत्ते में होगी 30 फीसदी की कटौती
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया कि प्रदेश के सभी मंत्रियों और विधायकों के वेतन भत्ते से 30 फीसदी की कटौती की जाएगी, जिससे 17 करोड़ 50 लाख 50 हजार रुपये 'कोविड केयर फंड' में दिए जाएगा. वहीं सभी विधायकों और विधान परिषद के सदस्यों की एक साल की निधि स्थगित कर 1,509 करोड़ रुपये भी 'कोविड केयर फंड' में दिए जाने का फैसला बैठक में लिया गया है. गौरतलब है कि प्रदेश में विधानसभा और विधान परिषद के कुल सदस्यों की संख्या 503 है.
डेढ़ लाख रुपये प्रति माह एक मंत्री को मिलता है वेतन
उत्तर प्रदेश सरकार के संसदीय कार्य एवं वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि प्रति मंत्री को कार्यालय भत्ता 20 हजार रुपये है और निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 50 रुपये सहित कुल एक लाख 10 हजार रुपये प्रति माह मिलता है. वहीं मंत्रियों को वेतन के रूप में हर माह 40 हजार रुपये मिलते हैं. वेतन और सभी प्रकार के भत्ते मिलाकर डेढ़ लाख रुपये प्रति मंत्री को एक माह में मिलता है. मौजूदा समय में प्रदेश सरकार में कुल 56 मंत्री हैं.
प्रति विधायक को एक माह में मिलता है 95 हजार रुपये वेतन
प्रदेश में विधानसभा और विधान परिषद के कुल सदस्यों की संख्या 503 है. संसदीय कार्य एवं वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि विधायकों को प्रति माह 95 हजार रुपये मिलता है, जिसमें इनको वेतन के रूप में 25 हजार, कार्यालय भत्ता 20 हजार और निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 50 हजार मिलता है. इस प्रकार विधायकों के वेतन से कटौती से कुल मिलाकर 1 लाख 52 हजार 874 हजार रुपये बनता है, जो 'कोविड केयर फंड' में दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि मंत्रियों और विधायकों काे वेतन भत्ते में 30 फीसदी कटौती से कुल 17 करोड़ 50 लाख 50 हजार रुपये कोरोना के खिलाफ जंग में खर्च होगा.
'आकस्मिकता निधि' को दोगुना करने के प्रस्ताव को भी मिली मंजूरी
कैबिनेट की बैठक में 'आकस्मिकता निधि संशोधन अध्यादेश' के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली है. इस अध्यादेश के माध्यम से वर्तमान में आकस्मिकता निधि में 600 करोड़ रुपये तक खर्च करने की सीमा थी. इसे अब बढ़ाकर 1,200 करोड़ रुपये कर दिया गया है. चिकित्सीय सुविधाओं को बढ़ाने, खाद्य पदार्थ पर खर्च, क्वारंटाइन इत्यादि पर खर्च करने के लिए इसकी आवश्यकता पड़ी है. इसलिए प्रदेश सरकार ने इस अध्यादेश के संसोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. मंत्री राजेन्द्र सिंह ने बताया कि विधानमंडल क्षेत्र विकास निधि योजना (विधायक निधि) वित्तीय वर्ष 2020-2021 को अस्थाई रूप से स्थगित किए जाने का निर्णय लिया गया. प्रदेश में विधायक निधि तीन करोड़ रुपये है. उन्होंने बताया कि यह धनराशि 'कोविड केयर फंड' से मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार खर्च की जाएगी.