लखनऊ : प्रदेश में जब से पारिवारिक रजिस्ट्री की दर को सरकार ने पांच हजार रुपये कर दिया है, तभी से वसीयत के मुकाबले दान पत्र बढ़ते जा रहे हैं. पारिवारिक रजिस्ट्री यानी की दानपत्र की संख्या जून से सितंबर तक उत्तर प्रदेश में 1.30 लाख से अधिक हो चुकी है. जिससे सरकार को भारी राजस्व प्राप्त हुआ है.
विधान भवन में आयोजित प्रेसवार्ता में राज्य के स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल (Minister of State Ravindra Jaiswal) ने इस बात की जानकारी मीडिया को दी. उन्होंने कहा कि परिवारों में अधिकांश विवाद अचल संपत्तियों में बंटवारे को लेकर था, जिसके कारण न्यायालय में मुकदमों की संख्या भी बहुतायत में थी. इन सभी के समाधान के लिए निबंधन विभाग ने मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पारिवारिक सदस्यों के मध्य अचल संपत्तियों के हस्तानांतरण पर लगने वाली स्टांप ड्यूटी को 6 से 7 प्रतिशत से घटाते हुए मात्र 5000 रुपये अधिकतम करने का एक बड़ा निर्णय लिया था.
उन्होंने बताया कि अचल संपत्तियों के हस्तानांतरण पर पूर्व में इतनी बड़ी धनराशि लगने के कारण पारिवारिक सदस्यों के मध्य अचल संपत्तियों को हस्तानांतरित करने में परिवार के मुखिया संकोच कर वसीयतों का सहारा लेते थे. वसीयत मृत्युपरांत प्रभावी होती थी और तब तक परिवार में तनाव एवं विवाद की स्थिति बनी रहती थी. विभाग के इस निर्णय के बाद जहां परिवारों में सौहार्दपूर्ण वातावरण स्थापित हुआ, वहीं 18 जून 2022 से 27 सितम्बर, 2022 की अवधि में 1,30,596 दानपत्र पंजीकृत हुए. विभाग को 449 करोड़ की आय प्राप्त हुई, जबकि गत वर्ष 18 जून, 2021 से 27 सितम्बर, 2021 की अवधि में मात्र 20,867 दानपत्र पंजीकृत हुए. इससे 230 करोड़ की आय विभाग को हुई थी. पिछले तीन माह में वसीयतों के पंजीकरण में भी काफी कमी आई है. इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में दान विलेखों को पंजीकृत करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है, जिससे राज्य सरकार के इस निर्णय की महत्ता और जनसामान्य के लिए इसकी उपयोगिता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है.