लखनऊ : फिरोजाबाद जेल में आईपीसी की धारा 308 व 325 के आरोप में बंद परशुराम के पास एक हजार रुपए जुर्माना भरने को नहीं है. इसके चलते उन्हें 45 दिन और जेल में रहना पड़ रहा है. कमोबेश यही स्थिति लखनऊ जेल में बंद दीपक कुमार की है, जिनकी सजा 4 नवंबर 2022 को पूरी हो चुकी है, लेकिन 40 हजार रुपए जुर्माना न भर पाने के कारण तीन साल और जेल में रहना होगा. जिस जेल में एक दिन भी बिताना मानों जीवन का सबसे बड़ा कष्ट है, ऐसे में यूपी की जिलों में 981 लोग सजा पूरी होने के बाद भी बंद रहने को मजबूर हैं.
6 नवम्बर को संविधान दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सवाल उठाया कि अगर देश विकास की तरफ जा रहा है तो देश में और ज्यादा जेलें बनाने की क्या ज़रूरत है, बल्कि उन्हें कम किया जाना चाहिए. ये बात इसलिए उन्होंने कही क्योंकि जेलों में भीड़ बढ़ गई है. जेलों में बढ़ती भीड़ का एक कारण ये भी है कि तमाम ऐसे कैदी हैं जिनकी जमानत या सजा पूरी तो हो गई, लेकिन जमानतदार और जुर्माना देने वाला कोई नहीं है. जिस कारण वह जेल में बंद हैं. यूपी की जेल में भी कमोबेश यही स्थिति है.
डीजी जेल आनंद कुमार ने बताया कि 'देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की जेलों में कुल 1 लाख 23 हजार कैदी बंद हैं. इनमें से 810 कैदी ऐसे हैं, जिनको कोर्ट से जमानत तो मिल गई है, लेकिन रिहाई की शर्तों में जमानतदार नहीं मिल रहे, वहीं 171 ऐसे बंदी हैं, जो जुर्माना अदा नहीं कर पा रहे हैं और अतिरिक्त सजा काट रहे हैं.'
यूपी की जेलों में 981 कैदी उस वक्त अतिरिक्त समय के लिए बंद हैं, जब यूपी की जेलों में सबसे अधिक भीड़ बनी हुई है. एनसीआरबी के आंकड़ों पर नज़र डालें तो उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश वो तीन राज्य हैं जहां एक से दो साल तक जेल में रहने वाले अंडरट्रायल कैदियों की संख्या सबसे अधिक है. यूपी में कुल 90,606 अंडरट्रायल कैदी जेल में निरुद्ध हैं.
कैसे घटे संख्या? :बीते कई वर्षों से देश की जेलों में भीड़ कम करने का मुद्दा कई बार उठता आया है. कोरोना काल में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भीड़ कम करने की कोशिश हुई, बावजूद इसके अभी भी उन कैदियों की संख्या में कमी नहीं आ रही है, जो जुर्माना या जमानतदार न होने के कारण जेल में बंद हैं. यही नहीं सुप्रीम कोर्ट भी यूपी की जेलों में बढ़ती भीड़ को देख गंभीर है, हालांकि कुछ एनजीओ ने आगे आते हुए कुछ कैदियों की जुर्माना राशि भर कर उन्हें रिहा करने की कोशिश की है. जैसे बीते साल अप्रैल में सत्ता दल भारतीय जनता पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर NGO के माध्यम से 8 लाख, 75 हज़ार, 769 रुपये की कुल रकम जुर्माने के तौर पर जमा करने के बाद 136 कैदियों की जुर्माना भर उन्हें जेल से रिहा कराया गया था.
जेल से भीड़ कम करेगी केंद्र सरकार? :अब जब राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट, दोनों ने ही जेलों में बढ़ते भार पर अपनी चिंता जाहिर की है तो केंद्र सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को संसद में बजट का ऐलान करते हुए एक स्कीम की जानकारी दी. उन्होंने घोषणा की थी कि जेल में बंद गरीब कैदियों की जमानत पर आने वाला खर्च और उन पर लगाए गए जुर्माने की रकम अब सरकार देगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्कीम की घोषणा करते हुए कहा कि गरीब कैदियों की जमानत के बदले जो भी खर्च आएगा उसे केंद्र सरकार उठाएगी. नतीजन जेल में उन कैदियों की भीड़ कम होगी, जो जुर्माना या जमानतदार की वजह से बंद हैं.
यूपी सरकार का जेल में भीड़ कम करने का दावा :डीजी जेल के मुताबिक, 'यूपी के जेलों से भीड़ कम करने के लिए समय-समय पर कई स्तरों पर रिहाई की जाती है. बीते एक साल में यूपी की जेलों से 1236 कैदियों की समयपूर्व रिहाई की गई है. इनमें फॉर्म ए के तहत 26, नॉमिनल रोल पर एक, दया याचिका पर 36, स्थाई नीति पर 976 और अमृत महोत्सव के तहत 196 कैदियों को रिहा किया गया है.' उन्होंने कहा कि 'अब जब केंद्र सरकार ने जुर्माना न भर पाने वाले बंदियों का जुर्माना भर उन्हें रिहा करवाने में मदद करने का भरोसा दिया है तो इससे जेल से थोड़ा भार कम होगा.'
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