लखनऊ: प्रदेश में कोरोना के मामलों को देखते हुएशासन की ओर से अधिक से अधिक टेस्टिंग के आदेश हैं. सरकारी अस्पतालों के साथ निजी लैब भी कोरोना जांच कर रही हैं. जहां सरकारी अस्पतालों में कोरोना जांच फ्री हो रही है तो निजी लैब में 1,600 रुपये देकर जांच करवानी पड़ रही है. विभाग द्वारा रोजाना लगभग 10 हजार सैंपल लेने के लिए कहा जा रहा है. इसमें एक हजार के करीब निजी लैब के भी जांच नमूने शामिल हैं. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 147 लैब टेक्नीशियनों को लगाया गया है. इस हिसाब से हर एक टेक्नीशियन पर रोजाना 68 से ज्यादा लोगों के सैंपल लेने का भार पड़ रहा है.
कोरोना जांच का नमूना लेने के लिए शहर में लगाए गए 147 लैब टेक्नीशियन
कोरोना जांच के लिए नमूना लेने के लिए शहर में 147 लैब टेक्नीशियन लगे हैं. इसमें 80 के करीब कर्मचारी संविदा पर तैनात हैं और लगभग 30 आउट सोर्सिंग पर रखे गए हैं. वहीं शहर में अलग-अलग इलाकों से लोगो के सैंपल लेने के लिए 135 टीमें लगाई गई हैं. इसके साथ ही वीआईपी सहित अन्य जगहों पर जांच नमूना लेने के लिए 12 अन्य टीमें लगाई गई हैं. इसके बाद भी रिपोर्ट आने में 30 घंटे से ज्यादा समय लग जा रहा है. आलम यह है कि रिपोर्ट के इंतजार में कई बार मरीजों का इलाज भी प्रभावित हो जाता है.
निजी लैब पर उठ चुके हैं सवाल
कोविड टेस्ट कराने वाली निजी पैथालॉजी में पर कई बार सवाल उठ चुके है. मरीजों से सही आईडी प्रूफ और मोबाइल नम्बर नहीं लिए जा रहे हैं, जिसे लेकर कुछ दिनों पहले सीएमओ दफ्तर से नोटिस भी जारी किया गया था. स्वास्थ्य विभाग ने कोविड प्रोटोकॉल के उल्लघंन के लिए निजी पैथालॉजी को नोटिस देना शुरू कर दिया है. कोरोना जांच कराने के समय सही आइडी प्रूफ व स्थानीय पता न लेने के चलते 2500 से अधिक पॉजिटिव मरीज ढूंढ़े नहीं मिल रहे. ये मरीज स्वास्थ्य विभाग के लिए मुसीबत बन गए हैं. पिछले सप्ताह भी 50-60 कोरोना मरीज गलत नंबर और पता देकर गायब हो गए. पड़ताल में पता चला कि जांच के समय उनका सही आइडी प्रूफ व स्थानीय पता नहीं लिया गया जिस कारण उन्हें खोजना मुश्किल हो रहा है.