हैदराबाद:कोई फैसला एक रात में नहीं होता, पर उस रिपोर्ट को देख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी परेशान हो गए थे. आनन-फानन में बैठक बुलाई गई, ताकि भविष्य के बिगड़ते ग्रह-गोचरों को समय रहते किसी तरह से मनाकर संकट की वैतरणी पार की जा सके. दरअसल, बीते नौ नवंबर को पूर्व आईएएस व भाजपा एमएलसी अरविंद कुमार शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर उन्हें एक रिपोर्ट सौंपी थी. सूत्रों की मानें तो उस रिपोर्ट में करीब 40 से अधिक जिलों की जमीनी हकीकत को बिना किसी हेर-फेर के पेश किया गया था. जिसके बारे में जान प्रधानमंत्री भी परेशान हो गए थे.
खैर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के कई ऐसे फैसले होते हैं, जिसके बारे में जब तक मोदी स्वयं कुछ नहीं बोलते तब तक कोई कुछ नहीं जान पाता. कुछ ऐसा ही तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले के साथ भी हुआ. लेकिन बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला एकाएक नहीं, बल्कि लंबे चले मंथन के बाद लिया गया.
वहीं, फैसले से पूर्व राजधानी दिल्ली में 18 नवंबर को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP President JP Nadda) के आवास पर बैठक हुई. उससे पहले पीएम मोदी के आंतरिक सर्वे की जो रिपोर्ट उन्हें सौंपी गई थी उसके बारे में पार्टी के आला नेताओं ने चर्चा की और फिर एकमत से निर्णय लिया.
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असल में पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब पर किए गए सर्वे के बाद जो रिपोर्ट सामने आई वो भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम न था. सभी सियासी संभावनाओं को टटोलने के बाद आखिर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह फैसला किया कि उत्तर प्रदेश समेत इन राज्यों में अगर चुनाव जीतना है तो फिर किसानों की नाराजगी दूर करनी ही होगी.
अंततः अपने चिर परिचित अंदाज में औचक देश के नाम संबोधन में उन्होंने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के साथ ही माफी भी मांगी. खैर, यह पार्टी की आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एक मुकम्मल प्लानिंग थी. ताकि नाराज किसानों को खुश कर फिर से माहौल मार्केटिंग के जरिए वोटों की बिगड़ी गणित को दुरुस्त किया जा सके.
शाह को पश्चिम यूपी और राजनाथ को काशी-अवध
इधर, आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए यूपी को तीन जोनों में विभक्त किया गया है. जानकारी के मुताबिक भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर हाई लेवल बैठक हुई थी. जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष, सूबे के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, राधा मोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, संगठन मंत्री सुनील बंसल समेत अन्य कई बड़े नेता शामिल हुए थे.