लखनऊ: विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी अपनी सोची समझी रणनीति पर चुनावी तैयारियों को आगे बढ़ाने का काम कर रही है. पिछले दिनों एक कार्यक्रम में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मोहम्मद अली जिन्ना को महात्मा गांधी सरदार पटेल के बराबर बताया तो भाजपा उन पर हमलावर हो गई. भाजपा की तरफ से आक्रामक तरीके से अखिलेश यादव पर हमला बोलते हुए उन्हें जिन्ना प्रेमी बताया गया. बावजूद इसके सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दोबारा फिर सोची समझी रणनीति के साथ जिन्ना मामले पर लोगों को इतिहास पढ़ने की नसीहत दे डाली और यह बता दिया कि वह अपने स्टैंड पर कायम हैं.
जिन्ना वाले बयान का अखिलेश को कुछ लाभ नहीं मिलने वाला
अखिलेश यादव एक रणनीति के तहत ही विधानसभा चुनाव को लेकर मुस्लिम तुष्टिकरण को लेकर इस प्रकार की बात करके अपने मुस्लिम वोटबैंक को ही सहेज रहे हैं इसीलिए वह यह कार्ड खेल रहे हैं. हालांकि राजनीतिक विश्लेषक इसे सही मानते हैं. अखिलेश यादव भले ही मुस्लिम तुष्टीकरण को केंद्र में रखते हुए जिन्ना को लेकर इस प्रकार की बात कर रहे हों, लेकिन उन्हें इससे बहुत कुछ लाभ नहीं मिलने वाला है. मुस्लिम वोटों की राजनीति करने वाले एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी हों या फिर कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी. सभी की तरफ से भी मुस्लिमों को लुभाने के लिए लगातार प्रयास किए जाते रहे हैं. ऐसे में अखिलेश यादव के इस बयान से उनको कितना फायदा हो पाएगा यह भविष्य में पता चलेगा. अगर अखिलेश यादव मुस्लिम तुष्टीकरण पर इसी प्रकार बढ़ते रहे तो मेजॉरिटी यानी बहुसंख्यक हिंदू वर्ग की भी नाराजगी का खामियाजा समाजवादी पार्टी को भुगतना पड़ सकता है.
ये दुर्भाग्य है कि देश का इतिहास पढ़ने वाले लोग बहुत कम
राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र कहते हैं कि हमारे महापुरुषों के बारे में आजकल देश में बहुत बड़ी भ्रांति फैली है और फैलाई जा रही है. व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी ने तमाम असत्य फैलाने का काम किया है, उसी का यह एक हिस्सा जो अखिलेश यादव के हाथ लग गया है, जिसमें वह सरदार पटेल और जिन्ना को बराबर कहते हैं. ये दुर्भाग्य है कि देश का इतिहास पढ़ने वाले लोग बहुत कम हैं और बहुत कम जानकारी रखते हैं और ये सही इतिहास है ही नहीं. उन्होंने कहा जिस जिन्ना ने देश में डायरेक्ट एक्शन की कॉल दी थी, जिसमें तमाम लोग मारे गए चाहे वह हिन्दू रहे हों या मुसलमान. उस जिन्ना को हम सरदार पटेल और नेहरु के बराबर मान लें तो यह दुर्भाग्य है. योगेश मिश्र ने कहा कि सही इतिहास की जानकारी अखिलेश यादव के पास नहीं है और इसमें अखिलेश यादव की गलती भी नहीं है. एक बार जिन्ना पर स्टेटमेंट को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का क्या हश्र हुआ है, यह हम सब के सामने है. आडवाणी जैसे बड़े नेता जिन्होंने भाजपा को 2 सीटों से 187 सीटों तक पहुंचाया गया था, उस जिन्ना को लेकर दिए गए स्टेटमेंट ने उनका राजनीतिक करियर समाप्त कर दिया था. मुझे लगता है कि अगर अखिलेश यादव जिन्ना-जिन्ना करते रहे तो यह चुनाव उनके लिए काफी भारी पड़ेगा.