लखनऊ : सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का भारतीय जनता पार्टी के साथ दोबारा गठबंधन हुए एक माह होने को है. बावजूद इसके अभी यह तय नहीं हो पाया है कि एनडीए गठबंधन में सुभासपा की क्या भूमिका होगी. जब ओम प्रकाश राजभर ने विगत 17 जुलाई को गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के बाद भाजपा गठबंधन में दोबारा शामिल होने की घोषणा की, तब कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें जल्दी ही प्रदेश की भाजपा सरकार में दोबार मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन एक माह बाद भी यह हो नहीं सका है. प्रदेश भाजपा के पदाधिकारी भी इस विषय में कुछ भी साफ-साफ कहने से इंकार कर रहे हैं. वह कहते हैं कि इस विषय में कोई भी निर्णय शीर्ष नेतृत्व करेगा. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि भाजपा नेतृत्व ने आखिर उनके लिए क्या भूमिका तय की है? वह मंत्री बनेंगे या लोकसभा चुनाव में भाजपा की रणनीति के मुताबिक मैदान में उतरेंगे.
हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा के मानसून सत्र में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने ओम प्रकाश राजभर और भाजपा पर तंज कसते हुए कहा था कि 'यदि राजभर को जल्दी ही मंत्री नहीं बनाया गया तो वह एक बार फिर पाला बदल कर सपा गठबंधन में आ सकते हैं.' स्वाभाविक है कि सिर्फ विश्लेषकों को ही नहीं, बल्कि राजनेताओं को भी पूरा यकीन था कि ओम प्रकाश राजभर यूं ही दोबारा भाजपा गठबंधन में नहीं लौटे हैं. उन्हें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी जल्द थी मंत्री पद से नवाजेगी. हालांकि इन दावों और अटकलों को बल मिले ऐसा कोई इशारा भारतीय जनता पार्टी की ओर से नहीं दिखाई दिया. इस संबंध में पूछे जाने पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह कहते हैं 'सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और उसके मुख्य ओमप्रकाश राजभर के विषय में कोई भी निर्णय शीर्ष नेतृत्व ही लेगा. राज्य संगठन इस विषय में कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं है.' भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के इस बयान से स्पष्ट है कि पार्टी ओमप्रकाश राजभर को लेकर किसी अन्य प्लान पर भी काम कर रही है.