लखनऊ : स्मार्ट मीटर को लेकर लगातार उपभोक्ता शिकायत करते रहते हैं कि यह मीटर तेजी से भागता है जिससे बिल काफी ज्यादा आता है, साथ ही स्मार्ट मीटर की तकनीक को लेकर भी सवाल खड़े होते रहे हैं. इस तरह की शिकायतों को लेकर पिछले दिनों केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से एक टीम भी स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं की समस्याओं को समझकर गई है. अब इसका असर भी दिखने लगा है. अब जिस उपभोक्ता के परिसर पर मीटर लगा होगा और उसे लग रहा है कि यह तेज चल रहा है तो पुराने मीटर को ही चेक मीटर माना जाएगा. इस चेक मीटर से ही स्मार्ट मीटर की रफ्तार की जांच होगी. तीन माह तक यह चेक मीटर परिसर पर लगा रहेगा और इसका परिणाम आने पर ही स्मार्ट मीटर और चेक मीटर की स्पीड में अंतर निकाला जाएगा. अगर गड़बड़ी मिलती है तो उपभोक्ता को राहत दी जाएगी.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने अभी बिजली कंपनियों के लिए यह आदेश जारी किया है कि वर्तमान में जो भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ता के परिसर पर लगाए जाएंगे उसमें से अनिवार्य रूप से पांच फीसद उपभोक्ताओं के परिसर पर जो साधारण मीटर लगे हैं उनको चेक मीटर मानकर उसके समानांतर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगेगा. तीन महीने तक उसकी रीडिंग का मिलान किया जाएगा. कहने का मतलब है कि उपभोक्ताओं के परिसर पर जो साधारण मीटर लगा है जिस पर उपभोक्ताओं को विश्वास है उसी को चेक मीटर मानकर स्मार्ट मीटर की जांच होगी. प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर जिन उपभोक्ताओं की शिकायत होगी, उनके परिसर पर सबसे पहले नि:शुल्क चेक मीटर लगेगा.