लखनऊ: योगी राज में सत्ताधारी दल के विधायक ही परेशान हैं. कई बीजेपी विधायकों का आरोप है कि अपनी पार्टी की सरकार होने के बाद भी उनकी बात नहीं सुनी जा रही है. इतना ही नहीं अधिकारी विधायकों के साथ अभद्रता भी कर रहे हैं. ताजा मामला प्रतापगढ़ के भाजपा विधायक धीरज ओझा से जुड़ा हुआ है. धीरज ओझा ने प्रतापगढ़ के पुलिस कप्तान पर अपने साथ अभद्रता करने का आरोप लगाया था. इसके साथ ही विधायक धीरज ओझा ने ने पुलिसकर्मियों पर मारपीट का आरोप लगाया.
बीजेपी प्रदेश मुख्यालय, लखनऊ विधायक धीरज ओझा ने पुलिसकर्मियों लगाए अभद्रता और मारपीट के आरोप
विधायक धीरज ओझा का एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें वह सड़क पर लेटकर पुलिस कप्तान पर आरोप लगाते हुए दिखाई पड़ रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रतापगढ़ के पुलिस कप्तान ने उनके साथ अभद्रता की और गोली मारने की बात कही है. इसके साथ ही उन्होंने पुलिसकर्मियों पर उनके साथ मारपीट करने और कपड़े फाड़ने का भी आरोप लगाया है. आपको बता दें कि इसके पहले विधायक धीरज ओझा का एक ऑडियो भी वायरल हुआ था. जिसमें उनके ऊपर दरोगा को धमकाने का आरोप लगा था.
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विधायक श्याम प्रकाश और नंद किशोर गुर्जर भी अधिकारियों पर उठा चुके हैं सवाल
इसके पहले भी भाजपा के कई विधायक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर चुके हैं. गाजियाबाद से भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था. अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ विधानसभा में भी विधायक धरने पर बैठ चुके हैं. भाजपा के ही हरदोई के गोपामऊ सीट से विधायक श्याम प्रकाश भी पुलिस अधिकारियों पर आरोप लगा चुके हैं. उन्होंने पार्टी नेताओं से पुलिस वालों को संरक्षण न देने मांग करते हुए कहा था कि पुलिस अधिकारी भाजपा विधायकों के साथ अभद्र व्यवहार करते हैं और उनकी कोई सुनवाई भी नहीं हो रही है. विधायक ने पुलिस अधिकारी को अपने फेसबुक पेज पर ड्रैकुला लिखा था, जिसके बाद वह चर्चा में आ गये थे.
विधायक देवमणि दुबे ने उठाया था भ्रष्टाचार का मुद्दा
सुलतानपुर के भाजपा विधायक देवमणि दुबे ने भी बीते साल कोरोना के दौरान अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. उन्होंने मुख्यमंत्री को बाकायदा पत्र लिखकर कोरोना किट की खरीद में भ्रष्टाचार होने की बात कही थी. जिसके बाद वह काफी दिनों तक सुर्खियों में रहे. इसके बाद सरकार को अधिकारियों पर कार्रवाई करनी पड़ी थी. इस तरह के एक-दो नहीं बल्कि कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें जनप्रतिनिधियों ने अधिकारियों के ऊपर गम्भीर आरोप लगाए हैं. विधायकों और सांसदों की नाराजगी को देखते हुए ही मुख्यमंत्री ने कई बार अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह विधायकों के साथ ठीक से व्यवहार करें और प्रोटोकॉल के तहत जनप्रतिनिधियों का सरकारी दफ्तरों में सम्मान हो. लेकिन, बावजूद इसके स्थितियां सुधरती नहीं दिख रही हैं.