लखनऊ : नर्सिंग प्रशिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने की दिशा में अहम कदम उठाया गया है. अब प्राइवेट नर्सिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को सरकारी मेडिकल संस्थानों में ट्रेनिंग लेनी अनिवार्य होगी. इससे उपचार की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है.
उत्तर प्रदेश में क्लीनिकल ट्रेनिंग पॉलिसी को कड़ाई से लागू किया जाएगा. इसके तहत निजी इंस्टीट्यूट से नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने वाले विद्यार्थियों को राजकीय मेडिकल संस्थानों में क्लीनिकल ट्रेनिंग लेनी होगी. यह क्लीनिकल ट्रेनिंग आठ सप्ताह की होगी. इसमें नर्सिंग विद्यार्थियों को इमरजेंसी से लेकर मेडिसिन, सर्जरी, टीबी एंड चेस्ट, न्यूरो, ईएनटी, नेफ्रोलॉजी समेत दूसरे विभागों में ड्यूटी लगाई जाएगी. इससे विद्यार्थियों को ज्यादातर गंभीर बीमारियों से पीड़ितों के उपचार का तजुर्बा हासिल होगा. रोगी-परिजन से बातचीत का तौर तरीका, उपचार व पेशेंट मैनेजमेंट की बारीकियों को सीखने का अवसर मिलेगा. चिकित्सा शिक्षा विभाग पॉलिसी की निगरानी करेगी.
उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि 'नर्सिंग की पढ़ाई की गुणवत्ता को बढ़ाने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. प्राइवेट कॉलेजों में सख्ती से मानक पूरे कराये जा रहे हैं. शिक्षकों की कमी को दूर करने के निर्देश दिये जा रहे हैं. स्वकेंद्र प्रणाली खत्म कर दी गई है. सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में परीक्षा कराई जा रही है. अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल यूनिवर्सिटी से नर्सिंग कॉलेजों को संबद्ध किया जा रहा है. अब तक करीब 250 नर्सिंग कॉलेज अटल यूनिवर्सिटी से संबद्ध हो चुके हैं. प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग की पढ़ाई का प्रावधान किया गया है. इसी क्रम में 22 मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग की पढ़ाई हो रही है. क्लीनिकल ट्रेनिंग पॉलिसी को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिये गये हैं. निजी नर्सिंग इंस्टीट्यूट से अच्छे नर्सिंग छात्र-छात्राएं तैयार होंगी. इसका सीधा फायदा रोगियों को उपचार के दौरान मिलेगा.
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