लखनऊ: जैसे-जैसे समय बीता, डाकघर आत्याधुनिक हो गए. ऐसे में पुरानी पद्धति में काम करने वालों में भी बदलाव हो गया. अगर बात करें उत्तर प्रदेश में कितने डाकघर है तो ये जान कर हैरानी होगी कि यह भारत में दूसरी ऐसी संस्था है, जिसमें सबसे ज्यादा कर्मचारी कार्य कर रहे हैं. प्रदेश में लगभग 17,709 पोस्ट ऑफिस हैं. इसमें काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 6 लाख है.
वाराणसी में आज के समय में परमानेंट कर्मचारियों की संख्या 90 है. साथ ही आउटसोर्सिंग के बल पर 67 डाकियों की तैनाती भी की गई है. फिर भी जिले के डाक घर में 199 डाकियों की पोस्ट खाली हैं. वेतन की बात करें तो ग्रामीण डाकियों को महीने में 12020 रुपये मानदेय मिलता है. वहीं शहरी डाकियों का वेतन करीब 30 हजार रुपये है.
समस्याओं पर क्या कहते हैं डाकिये
डाकिया कपिल मुनि शुक्ला, रजनीकांत राय और जितेंद्र कुमार पाल का कहना है की पहले से अब बहुत अंतर आ गया है. पहले कुछ घरों में ही जाते थे. अब एक ही बिल्डिंग के 10 घरों में जाना पड़ता है. मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बनने की वजह से परेशानियां बढ़ गई हैं. जनसंख्या बढ़ी है, लेकिन डाकियों की संख्या कम हो गई है.
टेक्नोलॉजी तो नहीं डाकियों की कमी की वजह
बदलते दौर के साथ डाकघर का स्वरूप भी बदल दिया गया. पोस्ट कार्ड की जगह लोग स्पीड पोस्ट करने लगे है. मनी ऑर्डर अब फोन पे, गूगल पे, भीम एप आदि से हो रहा है. वहीं इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के जरिए गांव के लोगों का ईपीएस मशीन से खाता खोला जाएगा. इसके जरिए पैसा जमा करना, भुगतान करना आदि सब इसी के माध्यम से हो सकेगा.