लखनऊ :प्रदेश के कई जिलों में इन दिनों बुखार का प्रकोप छाया हुआ है. डेंगू और मलेरिया के मरीज बड़े पैमाने पर मिल रहे हैं. फिरोजाबाद में बुखार से लोगों की मौत के बाद शासन की तरफ से फिरोजाबाद और मथुरा में लोगों की जांच के लिए हेल्थ टीम भेजी गई थी. संचारी रोग निदेशक डॉ. जीएस वाजपेयी के मुताबिक मथुरा की रिपोर्ट आ गयी है. इसमें बुखार का कारण स्क्रब टाइफस बैक्टीरिया मिला. इसके 26 केस मिले. उन्होंने बताया कि यह बैक्टीरिया चूहा, छछूंदर और झाड़ियों पर पाया जाता है. यह बैक्टीरिया सीधे ब्रेन पर अटैक करता है. दिमाग में सूजन लाकर मरीज की हालत गंभीर बना देता है. इसके लिए मथुरा में बुखार के रोगियों के लिए डॉक्सीसाइक्लिन टेबलेट अनिवार्य कर दी गई है. बुखार आते ही यह टेबलेट 5 दिन तक लेने से स्क्रब टाइफस बैक्टीरिया ब्रेन पर अटैक नहीं कर सकेगा. वहीं फ़िरोजाबाद में लापरवाही पर सीएमओ को हटा दिया गया. यहां 43 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है. शासन ने मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि फिरोजाबाद में बुखार के मरीजों में कोरोना वायरस नहीं मिला. इस दौरान शहरी व ग्रमीण क्षेत्र में बीमारियों से निपटने के लिए साफ-सफाई की पुख्ता व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही मथुरा-फ़िरोजाबाद में 15 डॉक्टरों की टीम भेजी गई है.
लखनऊ में बुखार का प्रकोप, घर-घर लार्वा की जांच
उधर, लखनऊ के अस्पतालों में 50 के करीब बुखार के मरीज भर्ती हैं. इसके अलावा सबसे अधिक फैजुल्लागंज में बीमारी फैली है. यहां 20 मरीज पाए गए. ऐसे में बुखार प्रभावित फैज्जुलागंज में स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार को अभियान चलाया. जिसमें फॉगिंग व एंटीलार्वा का छिड़काव कराया गया. घरों में कूलर, गमले आदि की जांच कराई गई. इस दौरान 215 घरों में लार्वा की जांच की गई. जिसमें दो घरों में डेंगू मच्छर के लार्वा मिले. जिन्हें नोटिस जारी की गई है. सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने बुखार पीड़ितों के बारे में जानकारी हासिल की. अबर्न हेल्थ पोस्ट सेंटर में मुफ्त जांच व इलाज संबंधी जानकारी दी. लखनऊ में जनवरी से अब टीम 60 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है.
क्या है स्क्रब टाइफस बैक्टीरिया
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक स्क्रब टाइफस ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाली गंभीर बीमारी है. स्क्रब टाइफस संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से इंसानों में फैलता है. इस रोग को बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता है. दक्षिण पूर्व एशिया, इंडोनेशिया, चीन, जापान, भारत और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण इलाकों में इस बीमारी के मामले ज्यादा देखे जाते हैं. जिन स्थानों में यह संक्रमण हो वहां रहने वाले या वहां की यात्रा करने वाले लोगों में संक्रमण का खतरा हो सकता है.
स्क्रब टाइफस की पहचान कैसे करें ?
विशेषज्ञों के मुताबिक संक्रमित कीट के काटने के 10 दिनों के भीतर इसके लक्षण नजर आने लगते हैं. रोगियों को बुखार और ठंड लगने के साथ सिरदर्द, शरीर और मांसपेशियों में दर्द की समस्या हो सकती है. जिस स्थान पर कीट ने काटा होता है वहां पर त्वचा का रंग गहरा हो जाता है और त्वचा पर पपड़ी पड़ सकती है. कुछ लोगों को त्वचा पर चकत्ते भी नजर आ सकते हैं. समस्या बढ़ने के साथ रोगियों में भ्रम से लेकर कोमा तक की समस्या भी हो सकती है. रोग की गंभीर स्थिति में अंगों के खराब होने और रक्तस्राव की भी दिक्कत हो सकती है. यदि समय पर इस रोग का इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है.