लखनऊ:5 सितंबर 2017 को जब लखनऊ में पहली बार मेट्रो के संचालन का शुभारंभ हुआ तो शहरवासियों में मेट्रो का क्रेज सिर पर चढ़कर बोला. चारबाग से लेकर ट्रांसपोर्ट नगर तक साढ़े आठ किलोमीटर के रूट पर मेट्रो दौड़ने शुरू हुई तो शहरवासी मेट्रो में सफर करने को बेताब दिखे. रोजाना इस रूट पर 10 से 15 हजार यात्री सफर करने लगे. लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या में कमी आने लगी.
जानकारी देती जनसंपर्क अधिकारी पुष्पा बेलानी.
यात्रियों की संख्या में आ रही गिरावट
- जब 8 मार्च 2019 को नॉर्थ साउथ कॉरिडोर का करीब 23 किलोमीटर का रूट चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट से मुंशी पुलिया तक का शुरू हुआ तो शहरवासियों ने मेट्रो को यातायात का मुख्य साधन बना लिया.
- इस रूट पर रोजाना यात्रियों की संख्या 70 हजार के करीब पहुंच गई, लेकिन जून आते-आते यात्रियों की संख्या में लगातार गिरावट आने लगी.
- इसके पीछे अहम वजह मेट्रो का अन्य परिवहन साधनों की तुलना में ज्यादा किराया होना है.
- वर्तमान में 50 हजार से 55 हजार यात्रियों की संख्या रोजाना मेट्रो से सफर कर रहे हैं.
अन्य परिवहन साधनों की तुलना में मेट्रो का किराया ज्यादा
- मेट्रो के किराए की तुलना अगर अन्य परिवहन साधनों से की जाए तो मेट्रो का किराया काफी ज्यादा है.
- ऐसे में यात्री मेट्रो की जगह पुराने परिवहन साधनों की तरफ लौटते हुए नजर आने लगे हैं.
- दिल्ली के मुकाबले लखनऊ मेट्रो का किराया बहुत ज्यादा है.
- दिल्ली मेट्रो से 5 किलोमीटर से 12 किलोमीटर तक का किराया सिर्फ 20 रुपये हैं.
- वहीं लखनऊ मेट्रो में 8 किलोमीटर के लिए ही लोगों को 30 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं.
- 12 से 21 किलोमीटर दूरी के लिए दिल्ली में 30 रुपये वसूले जाते हैं. ऐसे में यात्री मेट्रो से सफर करने से कतरा रहे हैं.
- दूसरी अहम वजह फीडर साधनों का न होना है. मेट्रो के साथ-साथ शहर में दौड़ रहे ऑटो, टेंपो, ई-रिक्शा भी मेट्रो से यात्रियों को अपनी ओर खींच रहे हैं.
ऐसा नहीं है कि मेट्रो में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या कम हो गई है. हर रोज 50 से 60 हजार यात्री सफर करते हैं. हां यह बात जरूर है कि पहले यात्री ज्यादा थे, लेकिन स्कूल-कॉलेज बंद हुए हैं तो संख्या कम हो गई. लेकिन स्कूल कॉलेज खुलते ही संख्या बढ़ जाएगी.
पुष्पा बेलानी, जनसंपर्क अधिकारी, लखनऊ मेट्रो रेल कारपोरेशन