लखनऊ: प्रदेश के 61 राजकीय महाविद्यालय में अब ठेके पर (आउटसोर्सिंग) के माध्यम से शिक्षकों की भर्ती की जाएगी. विशेष सचिव उत्तर प्रदेश शासन योगेंद्र दत्त त्रिपाठी ने यह आदेश जारी किया है. आउसोर्सिंग से भरे जाने वाले इन पदों के लिए सेवा देने वाली एजेंसी का चयन किया जाएगा. बीती 12 फरवरी को जारी इस आदेश के खिलाफ अब शिक्षक खड़े हो गए हैं. शिक्षक संगठन ने इसे निजीकरण की दिशा में कदम बताते हुए विरोध करना शुरू कर दिया है.
122 शिक्षक पद पर होगी नियुक्ति
राजधानी समेत प्रदेश भर के करीब 61 राजकीय महाविद्यालयों में अब ठेके पर शिक्षकों की भर्ती की जाएगी. विशेष सचिव उत्तर प्रदेश शासन योगेंद्र दत्त त्रिपाठी ने निदेशक उच्च शिक्षा को इस संबंध में पत्र जारी किया है. पत्र के मुताबिक, प्रदेश भर के 61 राजकीय महाविद्यालयों में करीब 122 शिक्षकों के पदों का सृजन करने की अनुमति दी गई है. पदों के सृजन के लिए 28 फरवरी 2022 तक का समय दिया गया है.
निदेशक उच्च शिक्षा को जिम्मेदारी दी गई है कि वह सुनिश्चित करें कि प्रस्तावित पद मांगों और वास्तविक आवश्यकता के अनुरूप हैं. यह पद तभी भरे जाएंगे, जब राजकीय महाविद्यालय संचालित होने की स्थिति में हो जाएंगे. इन पदों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरा जाएगा. इसके लिए सेवा प्रदाता एजेंसी का चयन नियमों के अनुसार पारदर्शी नीति से किए जाने के निर्देश भी दिए गए हैं.
इस संंबंध में बीती 12 फरवरी को आदेश की कॉपी जारी की गई है. इस आदेश से शिक्षकों में भारी नाराजगी है. लखनऊ विश्वविद्यालय संयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) ने इसे उच्च शिक्षा में बढ़ता निजीकरण बताया है. संघ के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय ने कहा कि यह शिक्षकों का अपमान है. उनकी ओर से इस फैसले के खिलाफ विरोध करने की भी घोषणा की गई है.
इतने पदों पर होनी है भर्ती
कुल महाविद्यालयों की संख्या करीब 61 है. शासन की ओर से जारी पत्र के मुताबिक, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के अंतर्गत निर्मित 49 राजकीय महाविद्यालयों में परास्नातक स्तर पर कला, विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय की विषयों के लिए प्रवक्ता के 98 पदों के सर्जन को अनुमति दी गई है. इसके अलावा 12 राजकीय महाविद्यालयों में प्रवक्ता के 24 पदों के सृजन की अनुमति उच्च शिक्षा विभाग को दी गई है.