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अब एलेक्सा को टक्कर देगा लखनऊ का 'स्नो बॉय', आपके हर सवाल का देगा जवाब - लखनऊ का समाचार

कल का मौसम कैसा होगा? ओलंपिक में भारत को कितने मेडल मिले हैं? इस तरह के चाहे जितने भी सवाल आपके दिमाग में हो. उन सब के जवाब लखनऊ के इस 'स्नो बॉय' के पास हैं.

आपके हर सवाल का देगा जवाब
आपके हर सवाल का देगा जवाब

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Published : Aug 12, 2021, 5:57 PM IST

लखनऊः राजधानी के लखनऊ पब्लिक कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज के छात्रों ने एआई तकनीकी पर वॉइस असिस्टेंट डिवाइस 'स्नो बॉय' तैयार किया है. दावा है कि ये बाजार में उपलब्ध किसी भी वॉइस असिस्टेंट डिवाइस से ज्यादा बेहतर है.

कॉलेज के डीन डॉक्टर एलएस अवस्थी ने बताया कि अमेजॉन के एलेक्सा और एप्पल के सिरी वॉइस असिस्टेंट का डेटाबेस सीमित है. कॉलेज के आई क्लब के छात्रों ने इन दोनों की भांति एक नए एआई वॉइस असिस्टेंट 'स्नो बॉय' का निर्माण किया है. यह पाइथन प्रोग्रामिंग पर आधारित है. यह गूगल और अमेज़ॉन दोनों के डेटाबेस का इस्तेमाल करते हुए उपयोगकर्ता के प्रश्नों का जवाब देता है. इसलिए ये बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने में सक्षम है. उनकी मानें तो इस डिवाइस की लाइब्रेरी को और बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.

एलेक्सा को टक्कर देगा लखनऊ का 'स्नो बॉय'

इस डिवाइस को तैयार करने वाली टीम के सदस्य वासुदेव श्रीवास्तव बताते हैं कि मार्केट में उपलब्ध उपकरणों की कीमत 3,000 से 3,500 रुपये तक है. लेकिन, हमारे इस उपकरण की कीमत 3,000 रुपये तक है. उन्होंने बताया कि आगे हम होम ऑटोमेशन की तैयारी कर रहे हैं. हमारे बोलने पर घर की लाइट ऑन ऑफ तक इसी डिवाइस के माध्यम से हो सकेगी. वासुदेव श्रीवास्तव के साथ रजत त्रिपाठी और शताक्षी सिंह की टीम ने इस डिवाइस को तैयार किया है. डीन डॉ. एल एस अवस्थी ने बताया कि इस प्रोडक्ट को बाजार में भी लाने की तैयारी है. इसके लिए कुछ संस्थाओं से बात की जा रही है. आर्थिक सहयोग मिलने पर इसे बाजार में उतारने के लिहाज से भी तैयार किया जा सकता है.

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लखनऊ पब्लिक कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज के डीन डॉक्टर एल एस अवस्थी ने बताया कि कॉलेज में एआई क्लब का गठन किया गया है. जहां छात्र आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीकी का इस्तेमाल करके डिवाइस तैयार कर रहे हैं. इसके पहले छात्र-छात्राओं की एक टीम ने ऑटोमेटिक हैंड सैनिटाइजर का निर्माण किया था. शिक्षण संस्थान की सभी शाखाओं में इसका इस्तेमाल किया जा रहा. उन्होंने सिर्फ बीसीए ही नहीं बल्कि बीकॉम और अन्य पाठ्यक्रम के छात्र-छात्राएं भी इस क्लब में शामिल होकर इस तकनीकी के इस्तेमाल से उपकरण तैयार करने में मदद कर रहे हैं.

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