लखनऊ:गुजरात की तर्ज पर अब उत्तर प्रदेश के बस अड्डे भी ठेके पर उठाए जाएंगे. किसी एक व्यक्ति या संस्था को ही पूरा एक बस स्टेशन ठेके पर दे दिया जाएगा. इसके बाद वही सभी दुकानें उठाएगा और इसके बदले में परिवहन निगम को एक तय धनराशि अदा करेगा. बोर्ड बैठक में परिवहन निगम ने इस प्रस्ताव पर मुहर भी लगा दी है. एक व्यक्ति या संस्था के साथ ही अलग-अलग व्यक्ति को भी टेंडर में मौका जरूर मिलेगा. पहले की तरह ही अलग-अलग व्यक्ति दुकान लेना चाहेंगे, तो इसकी भी मनाही नहीं होगी. लेकिन, परिवहन निगम का लक्ष्य यही होगा कि किसी एक व्यक्ति या संस्था को पूरा बस स्टेशन ही कॉन्ट्रैक्ट पर दे दिया जाए. जिससे बार-बार के टेंडर की सरदर्दी ही खत्म हो.
अब गुजरात की तर्ज पर यूपी में ठेके पर उठेंगे बस अड्डे, यात्रियों को स्टेशनों पर हर तरह की सुविधा देने की तैयारी
यूपी में अब किसी एक व्यक्ति या संस्था को ही पूरा बस स्टेशन कॉन्ट्रैक्ट (Entire Bus Station Contract in UP) पर दिया जाएगा. परिवहन निगम ने इस पर अब मुहर भी लगा दी है. यूपीएसआरटीसी ने यात्रियों को सुविधा देने की दृष्टि से यह फैसला लिया है.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Nov 22, 2023, 5:17 PM IST
एक ही संस्था को मिलेगा पूरा बस स्टेशन: वर्तमान समय में काफी संख्या में ऐसे बस अड्डे हैं, जहां पर बड़ी संख्या में स्टॉल्स और कैंटीन खाली हैं. प्रदेश के पहले एसी बस स्टेशन लखनऊ के कैसरबाग बस स्टेशन की बात ही कर ली जाए तो यहां पर जबसे बस स्टेशन बनकर तैयार हुआ है तबसे आज तक सात सालों में सभी आठ दुकानें कभी किराए पर उठ ही नहीं पाई है. इसका घाटा परिवहन निगम को उठाना पड़ता है. इतना ही नहीं बस स्टेशन पर बनी कैंटीन भी दो ठेकेदारों की आपसी जंग की भेंट चढ़ गई. इसका भी अभी तक हल नहीं निकला है. इसी तरह की शिकायतों और मामलों को देखते हुए परिवहन निगम ने अपनी टेंडर की शर्तों में अब एक ही व्यक्ति, संस्था या संगठन को पूरा बस स्टेशन सौंपने के फैसले पर मुहर लगाई है.
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परिवहन निगम के ढांचे की बात की जाए तो निगम के पास जो 300 से ज्यादा बस स्टेशन है उनमें से 249 अपने स्वामित्व वाले परिसर हैं और 51 किराए के परिसर में हैं. यात्रियों की सुविधा के लिए बस स्टेशन पर निगम के पास आमतौर पर शौचालय, बुकिंग कार्यालय, पीने के पानी की सुविधा, समयसारिणी डिस्प्ले, पूछताछ काउंटर, सार्वजनिक संबोधन प्रणाली, रोशनी, पंखे, सीट और बेंच होते हैं, लेकिन खाने पीने की सामग्री के साथ ही यात्री सुविधा की दृष्टि से अन्य सुविधाएं चाहिए होती हैं. उनके लिए दुकान, स्टॉल्स और कैंटीन किराए पर दी जाती हैं. जिससे बस के इंतजार में बस स्टेशन पर बैठे यात्री जलपान कर सकें या फिर अन्य यात्री सुविधाओं का सदुपयोग कर सकें.
हर रोज आते हैं 16 से 17 लाख यात्री:परिवहन निगम के बस स्टेशनों पर अगर हर रोज जुटने वाले यात्रियों की संख्या की बात की जाए, तो यह आंकड़ा 16 से 17 लाख है. यह यात्री हर रोज परिवहन निगम की 11 हजार से ज्यादा बसों से यात्रा करते हैं. बस स्टेशन पर बस के इंतजार में यात्री आते हैं. लेकिन, उन्हें बस स्टेशन पर जिन सुविधाओं की आवश्यकता होती है, वह नहीं मिल पाती हैं. इसके पीछे की वजह टेंडर की शर्तो के मुताबिक ठेकेदारों का दुकान, स्टॉल या फिर कैंटीन न लेना है. कई बार ठेकेदार आपसी प्रतिद्वंतिता में एक ही दुकान, स्टॉल या कैंटीन के भाव इतने बढ़ा देते हैं, कि फिर वह उठ ही नहीं पाते. इसका नुकसान परिवहन निगम के साथ ही यात्रियों को भी होता है, ऐसे में अब परिवहन निगम प्रशासन की तरफ से नई योजना तैयार की गई है.
क्या कहते हैं प्रबंध निदेशक:उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर का कहना है कि बोर्ड बैठक में इस पर फैसला लिया गया है. टेंडर में भी इसे शामिल कर लिया गया है. अब इंडिविजुअल व्यक्ति, संस्था या संगठन भी बस स्टेशन को एक साथ ठेके पर ले सकते हैं और उसकी कीमत अदा कर सकते हैं.ऐसा होने से परिवहन निगम का नुकसान नहीं होगा. साथ ही यात्री सुविधाओं में भी बढ़ौतरी होगी. अब यह टेंडर की शर्तों में शामिल है.
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