उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

डीएल आवेदकों की लगी कतार तो सोशल डिस्टेंसिंग हुई तार-तार

राजधानी के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय में आवेदकों की लाइन लगते समय कोरोना के गाइडलाइन्स का पालन नहीं किया जा रहा है. इस बारे में संबंधित अधिकारी भी लापरवाही भरा रवैया अपना रहे हैं.

By

Published : Dec 15, 2020, 7:56 PM IST

सोशल डिस्टेंसिंग हुई तार-तार
सोशल डिस्टेंसिंग हुई तार-तार

लखनऊ: कोरोना का प्रभाव भले ही थोड़ा कम हुआ हो लेकिन कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है. सरकार बार-बार कह रही है कि कोरोना से बचाव को लिए दो गज की दूरी बहुत जरूरी है. लेकिन सरकार की ये गाइडलाइन लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय में आवेदकों की लम्बी कतार से तार-तार हो रही है. यहां आने वाले लोग सोशल डिस्टेंसिंग तो दूर मास्क लगाना भी भूल गए हैं. हैरत की बात ये है कि कार्यालय के अधिकारी कोविड की गाइडलाइन का पालन करने के बजाय दफ्तरों में आराम फरमा रहे हैं.

नहीं कराया जा रहा कोविड के मानकों का पालन

एक तरफ सरकार आम जनता को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी तरफ सरकार के प्रयासों पर सरकारी विभाग ही पानी फेर रहे हैं. सम्भागीय परिवहन कार्यालय लखनऊ में लाइसेंस बनवाने के लिए टोकन की लाइन सरकार की गाइडलाइन का मखौल उड़ा रही है. मंगलवार को आरटीओ लखनऊ में कोविड की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गईं. कार्यालय में सरकार के निर्देशों का किस तरह पालन कराया जा रहा है इसका अंदाज़ा भीड़ को देख कर लगाया जा सकता है. आरटीओ कार्यालय में लाइसेंस बनवाने के लिए दूरदराज से सैकड़ों आवेदक पहुंचे. कार्यालय की नई व्यवस्था के तहत आवेदक टोकन के लिए लाइन में खड़े हुए. लाइन में खड़े आवेदकों ने न दो गज की दूरी का पालन किया था और न ही मास्क लगाया था, जबकि परिवहन विभाग ने लाइसेंस से सम्बंधित सभी कार्यों की मॉनिटरिंग के लिए एक अधिकारी तैनात किया है.

टोकन लेने के लिए लगती है लंबी लाइन

बता दें कि कोरोना काल में परिवहन विभाग ने लाइसेंस के कम किए गए टाइम स्लॉट को बढ़ा दिया है. उसके बाद कार्यालय में आवेदकों की भीड़ लगनी शुरू हो गई. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए विभाग ने तीन शिफ्ट में आवेदकों को टाइम स्लॉट आवंटित करना शुरू किया. साथ ही टोकन व्यवस्था लागू की. टोकन लेने आवेदकों की लंबी-लंबी लाइन लगने लगी. आरटीओ कर्मी बताते हैं कि यह नजारा रोजाना का है. इस व्यवस्था का पालन करने के लिए नियुक्त अधिकारी का रवैया लापरवाही भरा है. यहां पर आने वाले लोगों की मॉनिटरिंग हो ही नहीं रही है. अधिकारी कमरों से बाहर झांकते तक नहीं हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details