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अस्पतालों में ठप हैं बच्चों का सामान्य टीकाकरण, कोरोना की तीसरी लहर का पड़ सकता है असर !

उत्तर प्रदेश में अप्रैल के शुरुआती में कोरोनावायरस की दूसरी लहर तेज हुई. जिसके बाद ओपीडी के साथ सामान्य बीमारियों के टीकाकरण भी बंद हो गया. नवजात शिशुओं के लिए 1 साल तक जो टीकाकरण होते हैं, वह बहुत महत्वपूर्ण है. फिर चाहे वह बीसीजी का हो या फिर पोलियो ड्रॉप. रोजाना सामान्य दिनों में लगभग 40 से 50 बच्चों का टीकाकरण होता हैं, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के चलते टीकाकरण ठप पड़ा है.

कोरोना की दूसरी बेव की वजह से बंद है सामान्य टीकाकरण
कोरोना की दूसरी बेव की वजह से बंद है सामान्य टीकाकरण

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Published : Jun 1, 2021, 7:32 AM IST

लखनऊः राजधानी के अस्पतालों में बच्चों के सभी प्रकार के टीकाकरण वर्तमान समय में बंद है. बहुत सारे टीकाकरण होते हैं जो बच्चे के पैदा होने के बाद उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए लगाया जाता है. जिसमें बीसीजी, हेपेटाइटिस-बी और ओरल पोलियो ड्रॉप शामिल है. आईआईटी दिल्ली ने कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर ने 2 प्रतिशत बच्चों पर असर डाला. लेकिन कोरोना की तीसरी लहर जो कि अगस्त से अक्टूबर के बीच में आने की आशंका है. उसमें बच्चों के ऊपर अधिक प्रभाव पड़ेगा.

ऐसी स्थिति में अगर बच्चों को सामान्य टीकाकरण नहीं लगेगा तो बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही कमजोर रहेगी. लोहिया अस्पताल के पीडियाट्रिक डॉ. श्रीकेश सिंह बताते हैं कि जनपद में सिर्फ एक महीने में तकरीबन 8,000 बच्चों को सामान्य बीमारियों की वैक्सीन लगती हैं. हालांकि साल 2020 से अस्पतालों में सामान्य टीकाकरण बंद रहे हैं.

अस्पतालों में ठप है बच्चों का सामान्य टीकाकरण
साल में सिर्फ तीन महीने हुए टीकाकरण
वीरांगना झलकारी बाई अस्पताल की सीएमएस डॉ रंजना खरे ने बताया कि कोरोनावायरस को आए हुए डेढ़ साल हो गए हैं. जिसमें से सिर्फ 4 महीने अस्पतालों में सामान्य टीकाकरण हुए हैं. इनमें दिसंबर, जनवरी, फरवरी और मार्च शामिल है. जबकि अप्रैल के शुरुआती में कोरोनावायरस की दूसरी लहर तेज हुई. जिसके बाद ओपीडी के साथ सामान्य बीमारियों के टीकाकरण भी बंद हो गया. उन्होंने बताया कि नवजात शिशुओं के लिए 1 साल तक जो टीकाकरण होते हैं वह बहुत महत्वपूर्ण है फिर चाहे वह बीसीजी का हो या फिर पोलियो ड्रॉप. रोजाना सामान्य दिनों में लगभग 40 से 50 बच्चों का टीकाकरण होता हैं.

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नवजात को टीकाकरण जरूरी
केजीएमयू पीडियाट्रिक जेडी रावत बताते हैं कि नवजात शिशु के लिए शुरुआती टीकाकरण बहुत ज्यादा जरूरी होता है. उन्होंने बताया कि बच्चों को लगने वाले टीके को समय से ही लगवाना चाहिए. 10 से 14 दिन की देरी चल सकती है. लेकिन 15 महीने के बाद ज्यादातर टीके बूस्टर्स होते हैं. इसका मतलब वे पहले से मौजूद रोग प्रतिरोधक क्षमता को और बढ़ाते हैं. इनमें एक से दो महीने की देरी भी हो तो परेशानी नहीं होती है. जिले में पिछले साल मई से लेकर अक्टूबर तक टीकाकरण नहीं हुआ.

कोरोना की दूसरी बेव की वजह से बंद है सामान्य टीकाकरण
जल्द ही शुरू होगा टीकाकरण
सीएमओ डॉक्टर संजय भटनागर ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते अस्पतालों में सामान्य टीकाकरण बंद करवा दिया गया था. लेकिन स्थिति समान होते ही टीकाकरण पहले की तरह सुचारू रूप से अस्पतालों में होगा.

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बच्चों के लिए ये टीकाकरण हैं जरूरी

1- बच्चे के जन्म के एक महीने बाद बीसीजी हेपेटाइटिस बी और ओरल पोलियो ड्रॉप जरूरी है.

2- अगर बच्चा डेढ़ महीने का है तो पेंटा वैक्सीन वन, न्यूमोकोकल, रोटावायरस और आईपीवी वैक्सीन जरूरी हैं.

3- बच्चा ढाई महीने का है तो पेंटा वैक्सीन-टू, न्यूमोकोकल, रोटावायरस और आईपीवी जरूरी हैं.

4- बच्चा साढे 3 महीने का है तो पेंटा वैक्सीन-3, न्यूमोकोकल, रोटावायरस और आईपीवी जरूरी हैं.

5- नौवें महीने के बच्चे को एमआर वैक्सीन, विटामिन एक डोज और जेई का टीकाकरण होता हैं.

6- डेढ़ साल के बच्चे को डीपीटी का बूस्टर डोज, जेई और एमआर-टू वैक्सीन लगाई जाती हैं.

7- 4 साल के बच्चे को एमआर-टू , डीपीटी बूस्टर-टू की वैक्सीन लगाई जाती हैं.

8- 6 साल के बच्चे को डीपीटी बूस्टर-टू लगाई जाती हैं.

9- 10 से 17 साल के बच्चों को टेटनस टॉक्साइड और टेटनस एंड एडल्ट डिप्थीरिया की डोज दी जाती हैं.

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