लखनऊ: अक्सर लोग अपनी खूबसूरती बढ़ाने के लिए तरह-तरह के प्रयास करते रहते हैं. बूढ़े हों या फिर जवान, किसी भी तरह से अपनी खूबसूरती को ताउम्र कायम रखना चाहते हैं. इसके लिए वह छोटी सी क्रीम से लेकर बड़ी से बड़ी कॉस्मेटिक सर्जरी की प्रक्रिया तक करा लेते हैं. इस सिलसिले में अब संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट लखनऊ ने नॉन सर्जिकल कॉस्मेटिक प्रक्रिया शुरू की है. इस बारे में प्रक्रिया से जुड़े विशेषज्ञों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
नॉन सर्जिकल कॉस्मेटिक प्रक्रिया की जानकारी देते डॉक्टर. जानें इस सर्जरी के बारे में क्या बोले डॉक्टर
इस सर्जरी के बारे में पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ. अंकुर भटनागर कहते हैं कि पीजीआई में नॉन सर्जिकल कॉस्मेटिक के लिए दो तरीके अपनाए जा रहे हैं. पहला तरीका बोटालिनम नाम टॉक्सिन है, यह झुर्रियों के लिए होता है. इसके अलावा दूसरी प्रक्रिया डर्मल फिलर है. इसके तहत चेहरे पर कहीं गड्ढे या पतले होंठ और गालों का ट्रीटमेंट हालूरॉनीडेज केमिकल इंजेक्शन के जरिए किया जाता है, जिससे वह जगह भर जाती है.
संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. गरिमा मेहरोत्रा कहती हैं कि इस प्रक्रिया के तहत मरीजों को कुछ गाइडलाइंस दी जाती है, जो उन्हें फॉलो करनी होती है. यदि वह उन्हें फॉलो नहीं करते हैं तो इससे उनको नुकसान हो सकता है या फिर यह नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट फेल हो सकता है. नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट के बारे में बताते हुए प्लास्टिक सर्जरी विभाग की ही डॉ. अनुपमा कहती हैं कि यहां पर पांच मरीजों को शॉर्टलिस्ट किया गया है.
इन मरीजों को उनके काउंसलिंग के आधार पर चुना गया है कि उन्हें किस तरह के ट्रीटमेंट की जरूरत है. वह कहती हैं कि इसमें युवाओं से लेकर बूढ़े तक शामिल होते हैं, जो अपने चेहरे की खूबसूरती को दोबारा पाना चाहते हैं या फिर उसमें कुछ बदलाव देखना चाहते हों.
एक ट्रीटमेंट में आता है इतना खर्चा
फेशियल ट्रीटमेंट के बारे में डॉ. भटनागर कहते हैं कि यह ट्रीटमेंट महज पांच से 15 हजार रुपये तक की लागत के साथ आता है और लगभग एक साल तक प्रभावी रहता है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में प्लास्टिक सर्जरी विभाग डर्मेटोलॉजी विभाग और आप्थाल्मालॉजी विभाग को एक साथ आकर ट्रीटमेंट करना होता है तभी यह सफल हो सकती है.