लखनऊ: कोरोना मरीज बढ़ने पर केजीएमयू को कोविड अस्पताल घोषित कर दिया गया. तैयारी के लिए मुख्यमंत्री ने 24 घंटे का वक्त दिया. लिहाजा, दूसरे मरीजों (सामान्य बीमारियों से ग्रसित) को आनन-फानन में डिस्चार्ज करना शुरू कर दिया गया. सभी विभागों से बेड खाली करवा दिए गए. मगर अभी तक संस्थान का डेडिकेटेड कोविड अस्पताल नहीं बन सका. ऐसे में कोविड के साथ-साथ नॉन कोविड मरीज भी इलाज के लिए भटकने को मजबूर हैं.
केजीएमयू में हैं करीब 4400 बेड
केजीएमयू में करीब 4400 बेड हैं. इसमें से 350 बेड के लिंब सेंटर, 250 बेड के संक्रामक रोग वार्ड को गत वर्ष ही कोविड में बदल दिया गया था. वहीं इस साल कोरोना की दूसरी लहर में स्वास्थ्य सेवाएं डगमगा गईं. लिहाजा, दस दिन पहले मुख्य्मंत्री ने 24 घन्टे में केजीएमयू और बलरामपुर अस्पताल को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में तब्दील करने को कहा. मगर 10 दिन बाद भी केजीएमयू डेडिकेटेड कोविड अस्पताल नहीं बन सका. इसके विपरीत अन्य विभागों में भर्ती दूसरी बीमारी के मरीजों को आनन-फानन में डिस्चार्ज कर भगा दिया गया.
कोरोना के लिए हो सकते हैं कुल 765 बेड
वर्तमान में केजीएमयू में सिर्फ 165 बेड ही बढ़ाए जा सके हैं. ऐसे में केजीएमयू में कोरोना के लिए कुल 765 बेड की ही व्यवस्था हो सकती है. शेष बेड विभागों में खाली पड़े हैं. ये हाल तब है जब संस्थान को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बनाने के लिए चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना को प्रभारी बनाया गया था. उधर केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि सभी बेडों पर कोरोना मरीजों की भर्ती के लिए विस्तार की प्रक्रिया जारी है.
बलरामपुर अस्पताल भी अधूरा
बलरामपुर अस्पताल में 756 बेड का डेडिकेटेड कोविड अस्पताल नहीं बन सका है. इसमें 300 सौ बेड पहले लगाए गए. यहां फिलहाल डेढ़ सौ बेड पर नॉन कोविड मरीज भर्ती करने की व्यवस्था की गई है. यहां का प्रभारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह को बनाया गया था.
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