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गैर कोविड मरीजों को KGMU से जबरन किया गया डिस्चार्ज, कोविड अस्पताल भी अधूरा

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Published : May 3, 2021, 2:34 PM IST

केजीएमयू के कोविड अस्पताल घोषित होते ही सामान्य वार्डों से जबरन नॉन कोविड मरीजों को डिस्चार्ज किया जा रहा है. हालांकि सीएम के आदेश के बाद भी डेडिकेटेड केजीएमयू को कोविड अस्पताल के तौर पर सुविधाओं से लैस नहीं किया जा सका है.

केजीएमयू कोविड अस्पताल
केजीएमयू कोविड अस्पताल

लखनऊ: कोरोना मरीज बढ़ने पर केजीएमयू को कोविड अस्पताल घोषित कर दिया गया. तैयारी के लिए मुख्यमंत्री ने 24 घंटे का वक्त दिया. लिहाजा, दूसरे मरीजों (सामान्य बीमारियों से ग्रसित) को आनन-फानन में डिस्चार्ज करना शुरू कर दिया गया. सभी विभागों से बेड खाली करवा दिए गए. मगर अभी तक संस्थान का डेडिकेटेड कोविड अस्पताल नहीं बन सका. ऐसे में कोविड के साथ-साथ नॉन कोविड मरीज भी इलाज के लिए भटकने को मजबूर हैं.


केजीएमयू में हैं करीब 4400 बेड

केजीएमयू में करीब 4400 बेड हैं. इसमें से 350 बेड के लिंब सेंटर, 250 बेड के संक्रामक रोग वार्ड को गत वर्ष ही कोविड में बदल दिया गया था. वहीं इस साल कोरोना की दूसरी लहर में स्वास्थ्य सेवाएं डगमगा गईं. लिहाजा, दस दिन पहले मुख्य्मंत्री ने 24 घन्टे में केजीएमयू और बलरामपुर अस्पताल को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में तब्दील करने को कहा. मगर 10 दिन बाद भी केजीएमयू डेडिकेटेड कोविड अस्पताल नहीं बन सका. इसके विपरीत अन्य विभागों में भर्ती दूसरी बीमारी के मरीजों को आनन-फानन में डिस्चार्ज कर भगा दिया गया.

कोरोना के लिए हो सकते हैं कुल 765 बेड

वर्तमान में केजीएमयू में सिर्फ 165 बेड ही बढ़ाए जा सके हैं. ऐसे में केजीएमयू में कोरोना के लिए कुल 765 बेड की ही व्यवस्था हो सकती है. शेष बेड विभागों में खाली पड़े हैं. ये हाल तब है जब संस्थान को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बनाने के लिए चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना को प्रभारी बनाया गया था. उधर केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि सभी बेडों पर कोरोना मरीजों की भर्ती के लिए विस्तार की प्रक्रिया जारी है.

बलरामपुर अस्पताल भी अधूरा

बलरामपुर अस्पताल में 756 बेड का डेडिकेटेड कोविड अस्पताल नहीं बन सका है. इसमें 300 सौ बेड पहले लगाए गए. यहां फिलहाल डेढ़ सौ बेड पर नॉन कोविड मरीज भर्ती करने की व्यवस्था की गई है. यहां का प्रभारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह को बनाया गया था.

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पांच हजार बेड पर इलाज का दावा, कई वेंटिलेटर बंद

राजधानी में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए कागजी आंकड़े गुलाबी हैं. यहां 47 कोविड अस्पताल बनाए गए हैं. इनमें कुल 5,478 बेड हैं. इसमें 2500 आइसोलेशन बेड, 1904 एचडीयू बेड और 1074 वेंटिलेटर बेड हैं. वहीं ऑक्सीजन की कमी से करीब 500 आईसीयू बेड पर भर्ती बंद हैं. इसके अलावा 500 डीआरडीओ का अस्पताल हाल ही में संचालित हुआ है. वहीं हज हाउस में भी 200 बेड के अस्पताल का दावा किया गया.

सेना के रिटायर्ड डॉक्टर देंगे सेवा

प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार के मुताबिक कोरोना काल में बेड मेडिकल कॉलेजों में बढ़ा दिए गए हैं. वर्तमान में 18,181 बेड मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध हैं. इनमें 12,659 आइसोलेशन बेड हैं. 5522 आईसीयू-एचडीयू बेड हैं. ऐसे में स्टाफ की कमी है. तमाम डॉक्टर-कर्मचारी संक्रमित भी हो रहे हैं. लिहाजा विभाग के रिटायर्ड डॉक्टर और सेना के रिटायर्ड डॉक्टर को आवश्यकता पड़ने पर सेवा के लिए बुलाया जाएगा. साथ ही एमबीबीएस के थर्ड ईयर व फोर्थ ईयर के छात्रों की ड्यूटी लगाई जाएगी.

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इलाज के लिए डेढ़ लाख से अधिक बेड

अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल के मुताबिक प्रदेश में कोरोना के इलाज के लिए वर्तमान में एल-1 श्रेणी के एक लाख 16 हजार के करीब बेड हैं. वहीं एल-टू व एल-थ्री श्रेणी के 65 हजार के करीब बेड अस्पतालों में उपलब्ध हैं.

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33 हजार कोविड बेड बढ़ेंगे

सीएम ने 33 हजार और बेड बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. इसमें 75 जनपदों में 15 हजार बेड चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग बढ़ाएगा. इसके लिए हर जनपद में दो से चार सीएचसी को कोविड अस्पताल बनाया जाएगा. वहीं चिकित्सा शिक्षा विभाग मेडिकल कॉलेजों में 18 हजार बेड बढ़ाएगा.

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