लखनऊ: देश में महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान, सशक्तीकरण और अधिकारों के मुद्दे पर केंद्र और राज्यों सरकारें बड़ी-बड़ी बातें और नारे तो खूब देती हैं, लेकिन वास्तव में महिला मुद्दों, उनकी बुनियादी जरूरतों को लेकर यह कितनी संजीदा हैं, इसकी हकीकत इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश ने सामने लाकर रख दी है. हाईकोर्ट ने यूपी की सरकार से यह सवाल पूछ लिया है कि वह 15 फरवरी तक यह बताए कि राज्य के कितने पुलिस थानों में महिला शौचालय हैं. यूपी पुलिस थानों में महिलाओं के लिए शौचालय या खराब स्थिति के मामले में देश में चौथे स्थान पर है. प्रदेश के पुलिस थानों में महिलाओं के लिए अलग और स्वच्छ शौचालय की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है.
लखनऊ में महिलाओं के लिए पुलिस थानों में अलग शौचालय की व्यवस्था अच्छी नहीं है. मिशन शक्ति के तहत जहां थानों की पुलिस ने महिला हेल्प डेस्क तो स्थापित कर दिए. वहीं महिला पुलिसकर्मियों की संख्या भी अब थानों में बढ़ गई है. पुलिस थानों में महिलाओं के लिए साफ-सुथरे शौचालय कि अभी भी दरकार है. आलम ये है कि लखनऊ के तालकटोरा, बाजार खाला, सहादतगंज और ठाकुरगंज जैसे थानों में महिलाओं के लिए अलग शौचालय ही नहीं है.
पुलिस थानों में महिलाओं के लिए नहीं है साफ-सुथरे शौचालय
प्रयागराज हाईकोर्ट पुलिस थानों में महिलाओं के लिए अलग शौचालय को लेकर गंभीर है. इस पूरे मसले पर राज्य सरकार से 15 फरवरी तक जवाब मांगा गया है. एक तरफ सरकार मिशन शक्ति अभियान के तहत महिलाओं को हर सरकारी दफ्तर से लेकर घर तक सम्मान और सुरक्षा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है तो वहीं प्रदेश के पुलिस थानों में ही जहां से कानून व्यवस्था संचालित होती है वहीं पर महिलाओं को अलग शौचालय ना मिल पाना एक गंभीर समस्या भी है, अब इस विषय पर राज्य सरकार को जवाब देना है.