लखनऊ:स्मोकिंग सेहत के लिए घातक है, इसके बावजूद कम उम्र में ही लोग सिगरेट-बीड़ी के लती हो रहे हैं. यह लोग वातावरण में धुआं छोड़कर दूसरों को भी बीमार कर रहे हैं. गुरुवार को नो स्मोकिंग डे है. इसको लेकर केजीएमयू के चिकित्सकों ने लोगों को जागरूक किया.
केजीएमूय रेस्पेरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने कहा कि करीब 13 फीसद युवा धूमपान कर रहे हैं. वहीं, 35 फीसद से अधिक वयस्क सेकेंड हैंड स्मोकिंग के संपर्क में आते हैं. ये लोग बीड़ी सिगरेट तो नहीं पीते पर ऐसे लोगों के संपर्क में रहते हैं जो धूम्रपान करते हैं. धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों तक तो करीब 30 फीसदी ही धुंआ पहुंचता है. बाहर निकलने वाला धुंआ आस-पास के करीब 70 फीसदी लोगों को प्रभावित करता है।
तम्बाकू से 40 तरह के कैंसर का खतरा
धूमपान करने वालों को करीब 40 तरह के कैंसर का खतरा रहता है. साथ ही 25 तरह की घातक बीमारियों भी घेर सकती हैं. डॉ. सूर्यकांत के मुताबिक सेकंड स्मोकिंग का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है. धूमपान को छोड़कर तमाम तरह की गंभीर बीमारियों से बच सकता है.