लखनऊ:यूपी पुलिस में महिलाकर्मी तमाम समस्याओं से हर रोज रूबरू होती हैं, जिनकी चर्चा अक्सर नहीं होती और होती भी है तो अब तक उन्हें दूर नहीं किया जा सका है. पिछले कुछ समय से न सिर्फ पैरा मिलिट्री विभागों में बल्कि राज्यों के पुलिस विभाग में भी महिलाओं की बड़े पैमाने पर भर्तियां हुई हैं और अभी भी हो रही हैं. यूं तो पुरुष पुलिसकर्मी भी तमाम समस्याओं से आए दिन दो-चार होते हैं, लेकिन महिला पुलिसकर्मियों के लिए समस्याएं कहीं ज्यादा है.
महिला पुलिसकर्मियों की ये समस्या किसी एक राज्य की नहीं बल्कि देश भर की है. यदि बात उत्तर प्रदेश की करें तो यहां राज्य सरकार ने हर थानों में दो महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती का फरमान जारी कर रखा है और ज्यादातर जगहों पर ये तैनाती हुई भी है, लेकिन दफ्तरों में शौचालय और रहने के लिए आवास जैसी मूलभूत सुविधाओं की ओर सरकार का ध्यान अब तक नहीं गया है. राज्य पुलिस मुख्यालय की मानें तो राज्य में पुलिस और पीएसी के कर्मचारियों की संख्या डेढ़ लाख से ज्यादा है और इनमें महिलाओं की संख्या करीब 15 हजार है. जानकारी के मुताबिक, महिला पुलिसकर्मियों के रहने के लिए आवास का कोई बजट आज तक पारित नहीं हुआ है.
यूपी के ज्यादातर थानों में नहीं है महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग शौचालय. राजधानी लखनऊ में 45 पुलिस थानों समेत पुलिस के छोटे-बड़े करीब 80 दफ्तर ऐसे हैं, जहां महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से शौचालय नहीं हैं. यही हाल दूसरे जिलों का भी है और पुलिस अधिकारी इस बात को स्वीकार भी करते हैं. जाहिर है 8 से 10 घंटे ड्यूटी करने वाली महिला पुलिसकर्मियों को इस वजह से कितनी परेशानी से गुजरना पड़ता है. लखनऊ में तैनात एक महिला पुलिसकर्मी नाम न बताने की शर्त पर कहती हैं, "छुट्टियां न मिलना, 24 घंटे की ड्यूटी देना, घर-परिवार में समय न दे पाना, वो सब तो बर्दाश्त करना ही पड़ता है, लेकिन कुछ ऐसी परेशानियां हैं जिनसे हर महिला पुलिसकर्मी का सामना होता है. आप विश्वास नहीं करेंगे लखनऊ जैसे बड़े शहर में भी कई थाने ऐसे हैं जहां महिलाओं के लिए अलग से शौचालय नहीं हैं. न सिर्फ महिला पुलिसकर्मियों को इससे परेशानी होती है बल्कि वहां आने वाली दूसरी महिलाएं भी इस समस्या का सामना करती हैं."
महिला पुलिसकर्मियों की एक पीड़ा ये भी है कि वो चाहकर भी अपने पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन नहीं कर पाती हैं. त्योहारों पर अक्सर ड्यूटी पर रहना, घर-परिवार से दूर रहना, बच्चों को ज्यादा समय न दे पाना जैसी तमाम समस्याएं हैं जिन्हें एक महिला होने के नाते पुरुषों की तुलना में वो कहीं ज्यादा महसूस करती हैं. एक महिला पुलिसकर्मी हंस कर जवाब देती हैं, "लेकिन ये समस्याएं हम किसी से कह भी नहीं सकते हैं."
आवास की स्थिति तो ये है कि महिला पुलिसकर्मियों के लिए जिलों के पुलिस लाइंस में ही आवास उपलब्ध नहीं हैं, थानों पर आवास की बात तो अभी सोच से भी परे है. महिला पुलिसकर्मियों को या तो अलग से आवास का इंतजाम करना पड़ता है या फिर छोटे से सरकारी आवास में दो-तीन महिलाएं एक साथ रहने को विवश होती हैं और ये आवास बहुत कम और कुछ ही जगहों पर हैं.
लखनऊ के डीजीपी ऑफिस से संबंद्ध एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, आवास की समस्या बहुत ही गंभीर है, लेकिन उसे दूर करने की कोशिश हो रही है. उनका कहना है, "अभी तो स्थिति ये है कि ऐसे में भी जहां 20-22 महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती है. वहां महज 2 या 3 छोटे आवास ही उपलब्ध हैं. ऐसे में मुश्किल से 7-8 महिलाएं शेयर कर पाती हैं, बाकी लोगों को बाहर ही आवास का इंतजाम करना पड़ता है."
आवास की समस्या महिलाओं के लिए तब और विकट हो जाती है जब उन्हें घर से दूर तैनाती मिल जाती है. यूपी में पूर्व डीजी एके जैन कहते हैं कि सभी को घर के पास तैनाती मिल जाएगी. ये संभव नहीं है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में तो विचार किया ही जा सकता है. उनके मुताबिक, "अधिकारियों के स्तर पर पति-पत्नी को एक ही जिले या फिर आस-पास तैनाती दी जा सकती है तो कांस्टेबल और दारोगा जैसे पदों पर तैनात महिलाओं के साथ भी ये सरकारी हमदर्दी क्यों नहीं हो सकती." साथ लखनऊ में महिलाओं और महिला पुलिस कर्मियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए 100 से ज्यादा पिंक बूथ बनाए गए हैं.
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