लखनऊःउत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सितम्बर में एक समिति बनाई. इस समिति को 15 दिन में उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों का ब्योरा जुटाना था. अधिकारियों की कार्यकुशलता का आलम यह है कि अभी तक यह संख्या सामने नहीं आ पाई है. इसको लेकर अभ्यर्थियों में काफी नाराजगी है. युवा बेरोजगार मंच की ओर से इसको लेकर आपत्ति जताई गई है. संगठन का दावा है कि उत्तर प्रदेश में सीटीईटी-टीईटी पास करीब 10 लाख युवा बेरोजगार भटक रहे हैं. भर्ती की मांग को लेकर बीते करीब 6 महीने से लखनऊ में अभ्यर्थियों की ओर से धरना प्रदर्शन भी किया जा रहा.
बता दें, यह समिति चेयरमैन, राजस्व परिषद की अध्यक्षता में गठित की गई थी. इस कमेटी में सचिव, बेसिक शिक्षा और सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद बतौर सदस्य शामिल हैं. युवा बेरोजगार मंच के संस्थापक राकेश पाण्डेय ने बताया कि एक आरटीआई के जवाब में विभाग खुद कह चुका है कि उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के 2 लाख से ज्यादा पद खाली हैं. टीईटी सीटेट पास अभ्यर्थियों की संख्या 10 लाख के ऊपर है. जो शिक्षित होते हुए बेरोजगार हैं. सरकार को जल्द से जल्द 97 हजार पदों पर विज्ञापन जारी करना चाहिए.
यह हैं दावे
युवा बेरोजगार मंच के संस्थापक राकेश पाण्डेय ने बताया कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार जब 2017 में बनी थी उस समय कुल प्राथमिक विद्यालय की संख्या 1,13,249 थी. उस समय प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त शिक्षक 3,99,273 थे. 2017 में उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के स्वीकृत पद 5.65 लाख थे. उस समय उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के 165727 पद खाली थे.
2017 से लेकर अब तक कम से कम लगभग 75,000 प्राथमिक शिक्षक रिटायर हो चुके हैं, 2017 के बाद उत्तर प्रदेश में कोई प्राथमिक शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जारी नहीं हुआ है. 1,37,000 शिक्षामित्रों का जो समायोजन रद्द हुआ, यानी वह पहले अध्यापक थे उसी को सरकार दो पार्ट में भर्ती को करवा पाई है.