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लखनऊ : कागजों में उलझा बेड बढ़ाने का फरमान, मरीजों की जा रही जान - covi19 update

उत्तर प्रदेश समेत राजधानी लखनऊ में कोरोना वायरस लगातार हावी होता जा रहा है. आलम यह है कि अस्पतालों में इलाज के लिए बेड और ऑक्सीजन की भारी कमी है. इलाज के लिए संक्रमित वेटिंग लिस्ट में हैं, उन्हें ऐंबुलेंस और पार्किंग एरिया में ही घंटों बिताने पड़ रहे हैं. किसी की मौत सिर्फ एंबुलेंस के इंतजार में हो गई तो कई मरीजों ने समय से इलाज न मिलने पर दम तोड़ दिया.

केजीएमयू में नहीं बढ़ाए गए बेड.
केजीएमयू में नहीं बढ़ाए गए बेड.

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Published : Apr 20, 2021, 11:37 AM IST

लखनऊ: यूपी में कोरोना संक्रमित मरीज अस्पतालों में बेड और बेहतर उपचार नहीं मिलने से दम तोड़ रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बावजूद केजीएमयू और बलरामपुर अस्पताल में बेड बढ़ाने की कार्रवाई सिर्फ कागजों तक सीमित है. अभी तक किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में सिर्फ कुछ वॉर्डों को खाली कराने की कार्रवाई हुई है. वहीं बलरामपुर अस्पताल ने ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं होने के चलते बेड बढ़ाने से हाथ खड़े कर दिए हैं.

वॉर्ड खाली कराने का है दावा
केजीएमयू के प्रवक्ता सुधीर सिंह ने बताया कि ट्रामा सेंटर के भूतल, प्रथम तल, द्वितीय तल और न्यूरो मेडिसिन वॉर्ड, प्राइवेट वॉर्ड, इनफेक्शियस डिजीज, जनरल सर्जरी वॉर्ड समेत कई अन्य वॉर्ड कोविड मरीजों के लिए खाली कराए गए हैं. उन्होंने बताया कि यहां भर्ती होने वाले मरीजों को ऑक्सीजन और वेंटीलेटर सपोर्ट मिलेगा. सरकार से अतिरिक्त वेंटिलेटर मांगे गए हैं. हालांकि इसमें कितने बेड बढ़े हैं. यह जानकारी देने में उन्होंने असर्मथता जताई.

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भर्ती मरीजों की नहीं है जानकारी
मरीजों के भर्ती होने के सवाल पर प्रवक्ता ने कहा कि वहां मरीज भर्ती होने लगे हैं. सोमवार को भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या पूछने पर उन्होंने इसकी जानकारी होने से इंकार कर दिया. इससे समझा जा सकता है कि सिस्टम सुस्त चाल से ही चल रहा है. वहीं बलरामपुर अस्पताल के प्रभारी डॉ. जीपी गुप्ता ने कई बार फोन करने के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया.

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बेड के इंतजार में एक और मौत
लखनऊ निवासी राधा राठौर की हालत कोविड पॉजिटिव होने के बाद बेहद गंभीर हो गई थी. परिवार के लोग कई दिनों से भर्ती के लिए गुहार लगा रहे थे. जानकीपुरम स्थित एक निजी अस्पताल ने उन्हें तत्काल केजीएमयू या एसजीपीजीआई ले जाने की सलाह दी थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही थी. तीन दिन पहले कहा गया कि आपको पीजीआई भेजा जा रहा है, मगर उसके 48 घंटे बाद भी न तो एंबुलेंस आई और न ही भर्ती संबंधी कोई कागज. लिहाजा मरीज ने दम तोड़ दिया. सीएमओ डॉ. संजय भटनागर ने फोन पर कोई जवाब नहीं दिया.

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