लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अब जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे बंदियों की रिहाई में उम्र का बंधन बाधा नहीं बनेगी. यहीं नहीं, अब साल में 10 बार बंदियों को अलग-अलग खास दिवसों में रिहाई दी जाएगी. इसमें सिर्फ और सिर्फ आदर्श बंदी ही शामिल है जिसको लेकर संशोधित शासनादेश भी जारी कर दिया गया है.
उम्र का बंधन खत्म :कारागार प्रशासन और सुधार विभाग नए संशोधित शासनादेश के मुताबिक, साल 2018 में उम्र कैद की सजा काट रहे बंदियों की रिहाई से जुड़ा एक शासनादेश जारी किया गया था. इसे दोबारा साल 2021 में संशोधित कर बंदियों की रिहाई के लिए 60 साल की उम्र पूरी करने की शर्त की गई थी लेकिन अब 2021 के शासनादेश को राज्यपाल की अनुमति के बाद एक बार फिर संशोधित कर उम्र की बाधा को हटा दिया गया है. संशोधित शासनादेश के मुताबिक रिहाई के पात्र ऐसे बंदियों को मौका मिलेगा जो आजीवन कारावास की सजा में बिना किसी छूट के 16 जेल और छूट के 20 साल जेल में बिता चुके हों. ऐसे बंदी रिहाई के लिए आवेदन कर सकेंगे. इसमें बंदी की उम्र को आधार नहीं बनाया जाएगा. हालांकि इसमें सिर्फ आदर्श श्रेणी के बंदियों को ही शामिल किया जाएगा.
यह भी पढ़ें- सोनभद्र के आदिवासी गांवों में पहुंचा LU का एंथ्रोपोलॉजी विभाग, मानव विज्ञान के कई विषयों पर होगी शोध