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कोविड-19: तीसरी लहर की आशंका, बच्चों के लिए 9 हजार बेड तैयार - ब्लैक फंगस से महिला की मौत

कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर के खत्म होने पर तीसरी लहर की खतरे की आशंका जताई जा रही है. तीसरी लहर का असर बच्चों पर होने की खबर के बाद प्रदेश में बच्चों को समर्पित 9 हजार बेड अस्पतालों में तैयार कर लिए गए हैं.

कोविड-19 संक्रमण की तीसरी लहर से पहले तैयारी .
कोविड-19 संक्रमण की तीसरी लहर से पहले तैयारी .

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Published : Jul 19, 2021, 9:56 PM IST

लखनऊ: कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर (covid third wave) का खतरा सिर पर मंडरा रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक, तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक सिद्ध हो सकती है. लिहाजा, प्रदेश सरकार (UP Government) ने अलर्ट रहते हुए संभावित लहर से पूर्व आईसीयू बेड तैयार कर लिए हैं. वहीं, राज्य में 24 घंटे में कोरोना से सात लोगों की मौत हुई, जबकि बस्ती निवासी महिला ने ब्लैक फंगस की चपेट में आकर दम तोड़ दिया. महिला का केजीएमयू में इलाज चल रहा था. सोमवार को लिपिक संवर्ग (स्वास्थ्य विभाग) के कार्य बहिष्कार के चलते दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने का काम ठप रहा.

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मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में बच्चों के इलाज के लिए पीडियाट्रिक आईसीयू, नियोनेटल आईसीयू वार्ड बनकर तैयार हो गए हैं. अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल के मुताबिक, मेडिकल कॉलेजों में पीडियाट्रिक आईसीयू-आइसोलेशन के 6,400 बेड तैयार हो गए हैं. वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में 2,700 पीडियाट्रिक आईसीयू बेड कंप्लीट हैं. उधर, सोमवार को स्थानांतरण के विरोध को लेकर लिपिक संवर्ग ने जिलों पर कार्य बहिष्कार किया. ऐसे में सीएमओ दफ्तर, अस्पतालों के कार्यालय में काम ठप रहा. लिहाजा, सोमवार को आयोजित विकलांग बोर्ड में दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी नहीं हो सके.

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सरकार के मुताबिक, यूपी में वैक्सीन संकट से कुछ राहत मिली है. केंद्र से आपूर्ति होने के बाद टीकाकरण की रफ्तार में तेजी आई है. सोमवार को ही प्रदेश भर में 6 लाख 40 हजार लोगों में वैक्सीन की डोज लगाई गई. इस प्रकार से अब तक प्रदेश में चार करोड़ 3 लाख 69 हजार से अधिक लोगों को कोविड वैक्सीन लगाई जा चुकी है. यूपी में देश में सबसे अधिक ऑक्सीजन प्लांट लगाने वाला प्रदेश है. इसमें से 179 प्लांट शुरू हो गए हैं. प्रदेश के विभिन्न इलाकों में मानकविहीन ट्रॉमा सेंटर संचालित हो रहे हैं. इनमें मरीजों को सस्ते इलाज का झांसा देकर शोषण किया जा रहा है. यहां प्रशिक्षित डॉक्टर और स्टॉफ का भी अभाव है. ऐसे में शासन ने मानकविहीन चल रहे ट्रॉमा सेंटर पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं.

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