लखनऊ: लोकसभा के लिए मतदान होने के बाद अब देश में नई सरकार बनाने की कवायद में तीसरा मोर्चा भी जुट गया है. समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के साथ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और बसपा सुप्रीमो मायावती की मुलाकात के बाद अगला दौर कांग्रेस नेतृत्व के साथ मुलाकात का है. यह अगले 24 से 48 घंटे के बीच पूरा हो सकता है.
केंद्र में तीसरे मोर्चे की नई सरकार के गठन में उत्तर प्रदेश के गठबंधन दलों की भूमिका अहम रहने वाली है. बसपा सपा और राष्ट्रीय लोक दल कि ताकत के आधार पर ही केंद्र में नई सरकार के नेतृत्व का फैसला हो सकेगा. यही वजह है कि गठबंधन के नेता न्यूज़ चैनलों के एग्जिट पोल रिजल्ट को मारने के लिए तैयार नहीं हैं. उनका दावा है कि उत्तर प्रदेश में उन्हें 50 से ज्यादा सीटें मिलेंगी और इस आधार पर अगली सरकार गठबंधन की मदद से ही बनेगी.
विपक्ष का मानना है कि मायावती थर्ड फ्रंट का समर्थन कर सकती हैं. समाजवादी पार्टी नेतृत्व इस कोशिश में है कि देश में नई सरकार का गठन बसपा सुप्रीमो मायावती की अगुवाई में हो. सपा के नेता अखिलेश यादव कई बार इस बारे में अपनी मंशा जाहिर कर चुके हैं कि देश का अगला प्रधानमंत्री गठबंधन देने जा रहा है. समाजवादी पार्टी खुलकर कह रही है कि अगली सरकार गठबंधन की मदद से ही बनेगी.
केंद्र में बनने वाली नई सरकार को लेकर उत्तर प्रदेश में विपक्षी दलों के बीच जो सरगर्मी तेज हुई है उससे कयास लगाया जा रहा है कि कांग्रेश के साथ मिलकर सपा-बसपा, राष्ट्रीय लोक दल और अन्य गैर भाजपा दल अपनी सरकार बनाने की दिशा में कदम बड़ा चुके हैं.
जानकारी के अनुसार बसपा सुप्रीमो मायावती की बुधवार की शाम या 23 मई को रिजल्ट आने के साथ ही यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी से मुलाकात हो सकती है. इस बैठक के बाद ही न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर तीसरे मोर्चे की सरकार का स्वरूप सामने आएगा.