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Published : May 26, 2023, 3:59 PM IST

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नई शिक्षा नीति के तहत बहु प्रवेश और स्थानांतरण का रास्ता साफ, एकेडमिक क्रेडिट के आधार पर होगा प्रवेश

लखनऊ विश्वविद्यालय ने नई शैक्षिक नीति के तहत छात्र स्थानांतरण नीति तैयार की है. इसके तहत छात्रों के लिए मल्टीपल एग्जिट एंट्री का प्रावधान है.

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लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय ने नई शैक्षिक नीति (एनईपी) 2020 में तय प्रावधानों के तहत विद्यार्थियों को एक संस्थान से दूसरे संस्थान में जाने के लिए छात्र स्थानांतरण नीति तैयार की है. इस नीति के तहत बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले विद्यार्थियों को अब आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे संस्थानों में आसानी से प्रवेश मिल सकेगा. एनईपी 2020 स्नातक व परास्नातक विद्यार्थियों को कई प्रवेश और निकास के विकल्प मिलता है. इस को देखते हुए कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने ऐसे विद्यार्थियों को दोबारा से प्रवेश देने के लिए नीति तैयार करने के लिए कमेटी का गठन किया था. इसके लिए कुलपति ने एक चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. जिसमें सदस्य सचिव के तौर पर प्रोफेसर पूनम टंडन डीन एकेडमिक्स, प्रो. अरविंद अवस्थी (डीन आर्ट्स), प्रो अवधेश कुमार (डीन सीडीसी), प्रो विनीता प्रकाश (प्रिंसिपल आई.टी. कॉलेज) प्रो. डीपी सिंह (प्रिंसिपल नेशनल पीजी कॉलेज) शामिल थे. समिति ने स्नातक और परास्नातक कार्यक्रमों में विद्यार्थियों के बहु प्रवेश और स्थानांतरण से संबंधित नीति तैयार कर लिया है, अब उसे मंजूरी के लिए राजभवन भेजा जाएगा.

नई शैक्षिक नीति के प्रावधान.

लखनऊ विश्वविद्यालय में सबसे पहले एनईपी लागू : प्रोफेसर पूनम टंडन ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को मल्टीपल एग्जिट एंट्री का प्रावधान है. लखनऊ विश्वविद्यालय में 2020 में नई शिक्षा नीति को अपने यहां लागू किया था. ऐसे में जो छात्र पहले और दूसरे साल विश्वविद्यालय से बीच में पढ़ाई छोड़ कर जा चुके हैं या जाना चाह रहे हैं. उन्हें निकट भविष्य में दोबारा से अगर अपना पढ़ाई शुरू करना हो या डिग्री पूरी करनी हो तो एंट्री किस तरह मिले. इसके लिए स्थानांतरण नीति तैयार की गई है. इस नीति के लागू होने से विद्यार्थी आसानी से अपनी पढ़ाई दोबारा शुरू कर सकते हैं. प्रोफेसर पूनम टंडन ने बताया कि एनईपी 2020 के स्नातक व परास्नातक विषयों में एकाधिक निकास और एकाधिक प्रविष्टि के प्रावधान के साथ, एक संस्थान से दूसरे संस्थान में सीधे स्थानांतरण की प्रक्रिया का नियम अब जारी नहीं रहेगा.

नई शैक्षिक नीति के प्रावधान.
इसके अलावा यूजीसी के यूजी कार्यक्रम के लिए पाठ्यचर्या और क्रेडिट फ्रेमवर्क" के तहत समिति ने यूजी कार्यक्रम के लिए सिफारिश की है. इसके तहत चार साल के यूजी प्रोग्राम को यूजी डिग्री (ऑनर्स विद रिसर्च) नाम दिया जाएगा. जो विद्यार्थी पहले छह सेमेस्टर में 7.5 और उससे अधिक का सीजीपीए हासिल किया हो और चौथे वर्ष में जारी रखना चाहते हैं और स्नातक स्तर पर शोध करना चाहते हैं, वे चौथे वर्ष में एक शोध टॉपिक चुन सकते हैं. विश्वविद्यालय/एसोसिएटेड कॉलेजों के विभागों में पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब और प्रयोगात्मक अनुसंधान कार्य करने के लिए प्रयोगशाला जैसी आवश्यक बुनियादी सुविधाएं और कम से कम दो पूर्णकालिक संकाय सदस्य जिन्हें पीएचडी परिवेक्षक के रूप में मान्यता प्राप्त है, यूजी कार्यक्रम के चौथे वर्ष के पात्र होंगे.

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