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नई शिक्षा नीति से नहीं होगा नुकसान, जितनी पढ़ाई-उतना फायदा

यूपी के लखनऊ में नई शिक्षा नीति को जानकारों ने सराहा है. जानकारों का कहना है कि अब पढ़ाई विद्यार्थियों पर बोझ नहीं होगा. वह जब चाहे पढ़ाई छोड़ सकते हैं, जितना पढ़ेंगे उतने का उन्हें फायदा मिलेगा.

नई शिक्षा नीति से नहीं होगा नुकसान
नई शिक्षा नीति से नहीं होगा नुकसान

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Published : Dec 10, 2020, 7:03 PM IST

लखनऊःनई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत चार साल के स्नातक कोर्स को लेकर सरकार के इस फैसले की शिक्षा जानकारों ने सराहना की. आपको बता दें कि आने वाले अगले साल से स्नातक पाठ्यक्रम 4 साल का हो जाएगा. विश्वविद्यालय प्रशासन ने मौखिक सहमति के बाद बदलाव की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. वहीं अंतर विषयक स्थानांतरण को लागू करना अभी चुनौती बना हुआ है, जिस पर मंथन जारी है.

नई शिक्षा नीति में हैं मल्टीपल लेवल और मल्टीपल एग्जिट.

नई शिक्षा नीति में हैं मल्टीपल एग्जिटः दिनेश कुमार
राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति के तहत लखनऊ विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर दिनेश कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक का कोर्स चार साल का होने के चलते अब स्नातक में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को काफी राहत मिलेगी. उनका कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रस्तावित किया गया है कि मल्टीपल लेबल और मल्टीपल एग्जिट.

विद्यार्थी कभी भी छोड़ सकता है कोर्स
दिनेश कुमार ने कहा कि मल्टीपल एग्जिट का मतलब है कि चार साल के कोर्स को विद्यार्थी कभी भी एक साल में कोर्स पास करके बाहर जा सकता है. दूसरे साल में कोर्स पास करके बाहर जा सकता है. मतलब यह है कि विद्यार्थी किसी भी साल में कोर्स को पूरा करके बाहर जा सकता है. उन्होंने कहा कि ऐसा करके वह आगे जाकर पीजी के कार्यक्रम में प्रवेश ले सकता है.

पढ़ाई छोड़ने पर पहले नहीं मिलती थी डिग्री
अभी तक जो व्यवस्था थी उसके तहत विद्यार्थी को तीन साल ग्रेजुएशन के लिए देने ही पड़ते थे. उसके बीच में अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ सकता था. अगर बीच में पढ़ाई छोड़ता तो उसको डिग्री नहीं मिलती थी. अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति में यह प्रस्तावित किया गया है कि विद्यार्थी एक वर्ष में भी अपना पाठ्यक्रम पूरा कर सकता है.

अब एक वर्ष में हो सकती है पीजी
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार अगर किसी कारणवश विद्यार्थी एक वर्ष का कोर्स पूरा करता है तो सर्टिफिकेट मिलेगा, दो साल का कोर्स करता है तो डिप्लोमा मिलेगा, तीन साल का कोर्स करता है तो डिग्री मिलेगी और अगर चार साल का कोर्स कर लेता है तो उसको रिसर्च के साथ डिग्री मिलेगी. ऐसी स्थिति में अगर कोई विद्यार्थी पीजी का कार्यक्रम पूरा करना चाहता है तो एक साल में अपना पीजी कर सकता है.

पुराने छात्रों पर लागू नहीं होंगे नियम
दिनेश कुमार ने बताया कि नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों के लिए काफी उपयोगी होने वाली है. यह नियम उनके लिए ही लागू होगा जो इस नए सत्र में उपस्थित हुए हैं. पुराने छात्रों के लिए यह नियम लागू नहीं किए जाएंगे.

उपयोगी साबित होगी नई शिक्षा नीतिः तृप्ति
वहीं शिक्षा जानकार तृप्ति ने बताया कि सरकार ने जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है वह शिक्षा के क्षेत्र में काफी उपयोगी साबित होगी. सरकार के इस फैसले की हम सराहना करते हैं. पहले भी अदर प्रोफेशन में जैसे लॉ में कमाइंड लॉ करते हैं और इंटीग्रेटेड कोर्स है. अदर फील्ड में एमबीए में ग्रेजुएशन बीबीए के साथ कंबाइंड कर लेते हैं. इससे यह विजन भी तय हो जाता है कि बच्चे को किस फील्ड में जाना है. अब चार साल के कोर्स के साथ यह भी है कि अब बच्चों को भी राहत है. उन्हें पहले की तरह तीन साल का पूरा समय नहीं देना होगा.

अब जब चाहे कोर्स पूरा कर सकते हैं बच्चेः सोनिया
वहीं प्रोफेसर सोनिया यादव का कहना है कि जबसे NPE-2020 आया है तब से चाइल्ड सेंटर एजुकेशन को बहुत राहत मिली है. पहले से भी बहुत पॉलिसी आई थीं जो चाइल्ड सेंटर की बात करती थी. उन्होंने बताया कि अब जो बच्चा पोस्ट ग्रेजुएशन करेगा तो उसके लिए एक साल का पोस्ट ग्रेजुएशन होगा. मल्टीपल एग्जिट हैं. अब बच्चा जब चाहे अपने कोर्स से जा सकता है और जब चाहे उसको ज्वाइन कर सकता है. पहले की तरह अब ये नहीं है कि किसी बच्चे को एक ही कोर्स में तीन साल तक पढ़ना पड़े.

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