लखनऊ: यूपी में मच्छरों का कहर थमता नहीं दिख रहा है. अफसर डेंगू पर अंकुश नहीं लग पा रहे हैं. कई जिलों में बुखार के मरीजों की भरमार है. पिछले 24 घंटे में 51 नए मरीज मिले. इनमें से लखनऊ के 7 केस रहे. राज्य में मच्छरजनित और बैक्टीरियल बीमारी का प्रकोप बरकरार है. जलभराव और गंदगी से स्क्रबटाइफस, लेप्टोस्पाइरोसिस और डेंगू-मलेरिया भयावह हो रहा है. हजारों मरीज बुखार से कराह रहे हैं. स्थिति यह है कि प्रदेश में 1 जनवरी से 12 सितम्बर तक 58 जिलों में कुल 2,073 केस रिपोर्ट किए गए हैं. वहीं अब मरीजों की संख्या 9,521 हो गई है.
दुबई-यूएसए से व्यक्ति में डेल्टा वायरस
राजधानी की नगर मलेरिया इकाई और जिला मलेरिया अधिकारी की टीम द्वारा निरीक्षण किया गया. इस दौरान में सात डेंगू रोगी पाए गए. वहीं दुबई-यूएसए से लौटे मरीज में डेल्टा वैरिएंट पाया गया. यह पुराना वैरियंट है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने यूपी के फिरोजाबाद जिले में अधिकांश मौतें डेंगू बुखार के डी-टू स्ट्रेन के कारण होने का दावा किया हैं. उन्होंने बताया कि यह स्ट्रेन बहुत घातक होता है और जानलेवा है. यह अक्सर ब्लीडिंग का कारण बनता है. इसके अलावा यह प्लेटलेट काउंट को भी तेजी से प्रभावित करता है. यह स्ट्रेन मथुरा और आगरा में भी पाया गया है.
डेंगू के प्रकार
टाइप-1 सामान्य डेंगू : इसमें तेज बुखार के साथ शरीर, जोड़ों और सिर में दर्द होता है. दवाएं लेने से 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है.
टाइप-2 डेंगू हैमेरेजिक फीवर : इसमें मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से कम होते हैं. ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. खून शरीर के विभिन्न हिस्से में जमा होने लगता है. यह फेफड़ों, पेट, किडनी या दिमाग में भी पहुंच सकता है. वहीं, शरीर पर चकते पड़ जाते हैं, जिनसे खून रिसता रहता है. यह बुखार जानलेवा हो जाता है.
टाइप-3 डेंगू शॉक सिंड्रोम : इसमें मरीज को बुखार के साथ अचानक ब्लड प्रेशर कम हो जाता है. इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा ज्यादा होता है. इससे व्यक्ति शॉक में चला जाता है. मल्टी ऑर्गन फेल्योर हो जाता है, जिससे मरीज की मृत्यु हो जाती है. इस बुखार में मरीज को काफी कमजोरी भी आती है.