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विश्व जनसंख्या दिवस: तेजी से बढ़ती आबादी दे रही नई चुनौतियों को न्योता

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Published : Jul 11, 2019, 6:07 PM IST

चीन के बाद भारत आबादी के मामले में विश्व में दूसरे स्थान पर है. भारत में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. बावजूद इसके भारत में जनसंख्या पर नियंत्रण को लेकर कोई खास असर नहीं दिख रहा.

बढ़ती जनसंख्या से बढ़तीं भारत की चुनौतियां.

लखनऊ:दुनियाभर में तेजी से बढ़ती आबादी को देखते हुए 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. बता दें इस बार विश्व जनसंख्या दिवस की थीम 'फैमिली प्लानिंग इज ए ह्यूमन राइट' रखी गई है. इस दिन लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के प्रति जागरूक करने के लिए परिवार नियोजन, लैंगिक समानता, मातृत्व और मानवाधिकार के बारे में बताया जाता है. साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर जनसंख्या वृद्धि से होने वाले खतरे के प्रति जागरूक भी किया जाता है.

बढ़ती जनसंख्या से भारत की बढ़ती चुनौतियां.

जनसंख्या वृद्धि स्वास्थ्य और समाज के लिए खतरनाक
आंकड़ों के अनुसार साल 2011 में भारत की कुल आबादी एक अरब 21 करोड़ थी. जनसंख्या की वृद्धि दर कई वजहों से समाज और स्वास्थ्य पर खतरा बनती जा रही है. बता दें कि दुनिया भर की जनसंख्या हर साल लगभग 8.3 करोड़ की दर से बढ़ रही है. माना जाता है कि 1800 ई. में पूरे विश्व की जनसंख्या एक अरब थी, जो 2019 में बढ़कर लगभग 7.7 अरब हो गई है. वहीं 2050 तक इसके 9.9 अरब तक होने के आसार हैं.

⦁ भारत में गैरकानूनी होने के बाद भी कई पिछड़े राज्यों में आज भी बाल विवाह की परंपरा चल रही है.
⦁ जनसंख्या की दर बढ़ने के कारण शिक्षित होने के बाद भी लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता है.
⦁ वंचित जातियों को मनोरंजन और रोजगार के लिए किसी प्रकार का साधन न होना भी जनसंख्या बढ़ने का कारण है.
⦁ भारत की कुल आबादी में हिंदू आबादी 79.80 प्रतिशत है, जबकि मुस्लिम आबादी 14.23 प्रतिशत है. वहीं 2.30 प्रतिशत ईसाई तो 1.79 प्रतिशत सिक्ख आबादी है.

ग्रामीण परिवेश में आज भी अधिकतर लोग ज्यादा बच्चों की धारणा को अपनाते हैं. इसके पीछे उनका तर्क होता है कि परिवार में जितने लोग होंगे परिवार की आमदनी उतनी ही ज्यादा होगी. वहीं शिक्षित वर्ग छोटा परिवार सुखी परिवार की धारणा को अपनाते हुए परिवार नियोजन पर ध्यान देते हैं.

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