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अब बलरामपुर अस्पताल में होंगे नवजात बच्चों के ऑपरेशन

राजधानी लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में बच्चों के ऑपरेशन की सुविधा शुरू हो गई है. पहले ऑपरेशन के लिए बच्चों को शहर के अन्य अस्पतालों केजीएमयू या लोहिया अस्पताल में रेफर किया जाता था, लेकिन अब नवजात बच्चों की सर्जरी बलरामपुर अस्पताल में ही हो सकेगी.

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Published : Aug 27, 2022, 7:46 PM IST

लखनऊ: बलरामपुर अस्पताल में बच्चों के ऑपरेशन शुरू हो गए हैं. यह प्रदेश का पहला सरकारी अस्पताल है, जिसमें बच्चों के ऑपरेशन की सुविधा शुरू की गई है. पीडियाट्रिशियन सर्जन डॉ. अखिलेश कुमार ने पहला ऑपरेशन बीते गुरुवार को 9 दिन के बच्चे का जटिल ऑपरेशन कर शौच का रास्ता बनाने में कामयाबी हासिल की है. वहीं राजधानी के तीनों जिला अस्पताल सिविल, बीआरडी और बलरामपुर अस्पताल में पहले एक भी पीडियाट्रिशियन सर्जन नहीं थे. हालांकि अभी भी सिविल और बीआरडी में सर्जन नहीं है. जबकि बलरामपुर अस्पताल में कुछ दिन पहले ही एक पीडियाट्रिशियन सर्जन नियुक्त हुए हैं.

गौरतलब है कि ऑपरेशन शुरू होने से बलरामपुर अस्पताल में बच्चों को और बेहतर इलाज मिल सकेगा. अभी तक अस्पताल में सिर्फ बाल रोग विभाग का संचालन हो रहा था. ऑपरेशन की सुविधा नहीं थी. लिहाजा ऑपरेशन के लिए बच्चों को केजीएमयू और लोहिया संस्थान रेफर किया जा रहा था. इन अस्पतालों में पहले से मरीजों का दबाव है. मरीजों की सहूलियत के लिए अस्पताल प्रशासन ने पीडियाट्रिक सर्जरी की सुविधा शुरू कर दी है. अस्पताल के सीएमएस डॉ. जीपी गुप्ता ने बताया कि पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. अखिलेश कुमार ने जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चे का ऑपरेशन कर नई जिंदगी दी है. डॉ. अखिलेश एमसीएच डिग्रीधारी हैं. जो हाल ही में संतकबीनगर से तबादला होकर आए हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए डॉ. अखिलेश कुमार व सीएमएस डॉ. जीपी गुप्ता
पहला ऑपरेशन कर नवजात का बनाया मलद्वार:बता दें कि सीतापुर बिसवां निवासी फारूख का 9 दिन का बेटा सूफियान को शौच का रास्ता (मलद्वार) पूरी तरह से विकसित नहीं था. इस वजह से वह मल त्याग नहीं कर पा रहा था. बच्चे का पेट फूलता जा रहा था. पेट में दर्द से बच्चा कराह रहा था. परिवारीजन बुधवार को बच्चे को ओपीडी लेकर पहुंचे. डॉ. अखिलेश कुमार ने बच्चे को देखा. जरूरी जांच कराईं. इसके बाद डॉक्टर ने ऑपरेशन का फैसला लिया. गुरुवार को जटिल ऑपरेशन कर मलद्वार बनाया. ऑपरेशन करीब एक घंटा चला. जिसके बाद से बच्चा पूरी तरह सेहतमंद है.

एक लाख रुपये का ऑपरेशन किया मुफ्त:डॉ. जीपी गुप्ता ने बताया कि अब नवजात बच्चे का ऑपरेशन मुफ्त होगा. जबकि निजी अस्पतालों में बच्चों के ऑपरेशन में करीब एक लाख रुपये का खर्च आता है. अब गरीब बच्चों को बेहतर इलाज मिल सकेगा. उन्होंने कहा कि जब हमारे पास नवजात बच्चों से संबंधित कोई केस आता था तो हमें बड़े संस्थान की ओर रुख करना पड़ता था. रोजाना हमारे यहां 50 से अधिक बच्चे विभाग में दिखाने के लिए आते हैं.


बेहोशी देना चुनौतीपूर्ण था: एनस्थीसिया विभाग के डॉ. एपी सिंह ने बताया अस्पताल में एक साल से कम बच्चों को बेहोशी देना चुनौतीपूर्ण होता है. छोटे बच्चों को बेहोशी देने पर उन्हें ठंड जकड़ सकती है. रक्तस्त्राव का खतरा भी बना रहता है. हालांकि संस्थान ने जो पहला ऑपरेशन किया वह काफी अच्छे से हुआ. अस्पताल में पीडियाट्रिशियन सर्जन आ गए हैं. जिन बच्चों को अन्य अस्पतालों में शिफ्ट किया जाता था, अब उन्हें अस्पताल में ही समुचित इलाज मुहैया हो पाएगा.

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