लखनऊ : राजधानी के मलिहाबाद थाना क्षेत्र में ऐसी घटना सामने आई है, जिसके बाद सबकी जुबान पर बस एक ही सवाल है कि 'मां इतनी निर्दयी कैसे हो सकती है'. यहां दो दिन के मासूम जंगल में बरामद हुआ है. गनीमत यह रही कि मासूम पर किसी कुत्ते या जंगली जानवर की निगाह नहीं पड़ी. एक राहगीर ने बच्चे के रोने की आवाज सुनकर पुलिस को सूचना दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने मासूम बच्चे को इलाज के लिए बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया, फिलहाल वह खतरे से बाहर है.
जंगल में मिला नवजात बच्चा, रोने की आवाज सुनकर राहगीर ने बचाई जान
लखनऊ के मलिहाबाद थाना क्षेत्र के जंगल में न जाने कौन मासूम बच्चे को पॉलिथीन में लपेटकर फेंक गया. जब राहगीर वहां से गुजरे तो उन्होंने बच्चे के रोने की आवाज सुनकर पुलिस को जानकारी दी. जिसके बाद बच्चे को बलरामपुर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गय़ा.
दरअसल मलिहाबाद थाना क्षेत्र स्थित कुशभरी गांव और विभूतिखेड़ा गांव के बीच पड़ने वाले जंगल में पॉलिथीन में लिपटा हुआ दो दिन का मासूम बरामद हुआ है. इसके बाद राहगीर ने इस घटना की जानकारी पुलिस को दी. घटना की जानकारी लगते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने उस बच्चे को मलिहाबाद के सीएचसी पहुंचाया. यहां डॉक्टरों ने उसकी साफ-सफाई करने के साथ ही प्राथमिक उपचार कर बलरामपुर हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया. यहां मासूम बच्चे का इलाज चल रहा है.
मलिहाबाद इंस्पेक्टर चिरंजीवी मोहन का कहना है कि जंगल के अंदर दो दिन के मासूम के मिलने की सूचना मिली थी. इस सूचना पर पहुंची पुलिस ने उसको सीएचसी पहुंचाकर उसकी जान बचाई है. उन्होंने कहा कि मासूम बच्चा एक पॉलिथीन में लिपटा हुआ पड़ा था, अगर उसके रोने की आवाज न सुनाई देती तो वह किसी जानवर का शिकार हो जाता. फिलहाल उसका इलाज महिला आरक्षी आरती मिश्रा की निगरानी में बलरामपुर हॉस्पिटल में एनआईसीयू में चल रहा है. पुलिस ने सेंट्रल वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन (CWC) और चाइल्ड लाइन को भी इस बात की सूचना दे दी गई. जो इस मासूम बच्चे की जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं. फिलहाल मासूम बच्चे को इस जंगल में कौन फेंककर गया है, इसकी जांच की जा रही है.