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भाषा विश्वविद्यालय में अब बीटेक और बीबीए कोर्स में लागू होगी एनईपी, तैयारी शुरू

राजधानी केे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार मल्टीपल एंट्री व मल्टीपल एग्जिट लागू करने जा रहा है.

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Published : May 6, 2023, 5:07 PM IST

लखनऊ :ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में शैक्षिक सत्र 2023-24 में संचालित बीटेक, बीबीए, एमबीए पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार मल्टीपल एंट्री व मल्टीपल एग्जिट लागू करने जा रहा है. बीटेक कोर्स में नीति लागू करने वाला प्रदेश का राज्य विश्वविद्यालय बन गया है. इससे पहले किसी अन्य विश्वविद्यालय ने इसी सत्र से अपने यहां बीटेक में नई शिक्षा नीति को लागू करने की तैयारी शुरू नहीं की है. उसके लिए विश्वविद्यालय ने अपने स्तर पर कमेटी बना दी है, जो एआईसीटीई के नियमों के अनुसार इसे लागू करेगी, जबकि प्रदेश के सबसे बड़े प्राविधिक विश्वविद्यालय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में अभी इस फॉर्म में बीटेक व अन्य कोर्सों में नई शिक्षा नीति को लागू किया गया है.


भाषा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एनबी सिंह ने बताया कि 'नई शिक्षा नीति 2020 बाकी सभी विषयों में लागू हो रही है, केवल बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी बीटेक कोर्स में इसे लागू करने के लिए कोई नीति निर्धारण नहीं हुआ था. उन्होंने बताया कि प्राविधिक विश्वविद्यालयों व संस्थानों को गवर्न करने वाली अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) में बीटेक के विषयों में नई शिक्षा नीति को किस तरह से लागू किया जाना है. इसके लिए इस साल एक कमेटी का गठन कर दिया है. जैसे ही कमेटी इन विषयों में नीति लागू करने की प्रक्रिया का निर्धारण कर देगी, भाषा विश्वविद्यालय भी अपने यहां पर उसी को हूबहू लागू कर देगा. प्रोफेसर सिंह ने बताया कि 'अभी तक बीटेक में नई शिक्षा नीति के तहत मल्टीपल एग्जिट व एंट्री का कोई भी प्रावधान नहीं तय किया गया था, जिस कारण से नई शिक्षा नीति को इन विषयों में लागू करने में काफी दिक्कत आ रही थी.'

कुलपति प्रो. एनबी सिंह ने बताया कि 'विश्वविद्यालय के सत्र 2023-24 में नए पाठ्यक्रम में स्ववित्तपोषित योजान्तर्गत बीए (फाइन आर्टस्), बीए (जर्मन, चाइनीज़ एवं जैपनीज़), बीए (पॉली), एमएड, एमए (फाइन आर्टस्), एमबीए (फाइनेंस एवं एकाउंट), फार्मेसी संकाय के अन्तर्गत बीफार्मा व डीफार्मा प्रारम्भ किया जायेगा. इसके अलावा पीएचडी के अध्यादेश को भी मंजूरी के लिए राजभवन भेजा गया है.

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