लखनऊ: अवैध असलहों की सप्लाई बनी अपराध का कारण, कमजोर साबित हो रहा मुखबिर तंत्र - सितम्बर बना क्राइम का माह
राजधानी लखनऊ में सितम्बर माह में हुए 13 गोलीकांड को लेकर यह माह क्राइम का माह बन चुका है. इस बड़ी क्राइम को लेकर प्रशासन और अधिकारियों ने बैठक की, जिसमें इस बात को लेकर चर्चा की गई कि आखिरकार ये अवैध असलहों की सप्लाई हो कहां से रही है.
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लखनऊ: डीजीपी की फटकार के बाद लखनऊ पुलिस अपराधों पर लगाम लगाने की बात कर रही है. वहीं पुलिसिंग को नया पैटर्न उपलब्ध कराने के लिए दावे किए जा रहे है लेकिन इस बात से गुरेज नहीं किया जा सकता है कि लखनऊ पुलिस कोर पुलिसिंग को भी जमीन पर उतारने में नाकाम रही है. राजधानी में गोलीकांड के चर्चाएं हो रही हैं कि आखिर लोगों को इतनी आसानी असलहे मिल कैसे जाते हैं. जिस पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर लखनऊ पुलिस कोर पुलिसिंग करते हुए राजधानी लखनऊ में पहुंचने वाले असलहों की सप्लाई पर लगाम लगा लेती तो अपराध के ये हालात नहीं होते.
वरिष्ठ पत्रकार रत्न मणिलाल ने कहा कि जिस तरीके से घटनाएं हुई हैं से स्पष्ट है कि लखनऊ पुलिस से कहीं न कहीं चूक जरूर हुई है. सवाल वाजिब है कि आखिर राजधानी लखनऊ में अवैध असलहा कहां से आ रहा है. जिस तरीके से घटनाएं हुई हैं इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस का सूचना तंत्र कमजोर है और अगर पुलिस का सूचना तंत्र सूचनाएं भी उपलब्ध करा रहा है तो पुलिस उन सूचनाओं पर कार्रवाई करने में नाकाम नजर आ रही हैं. पुलिस अवैध असलहों की सप्लाई पर लगाम लगा लेती तो इस तरह की घटनाएं सामने न आतीं.