लखनऊ: राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने मंदिरों के वेस्ट फ्लावर्स से हर्बल सिंदूर बनाया है. आजकल महिलाएं लिक्विड सिंदूर लगाना पसंद करती हैं तो इस तरह का भी लिक्विड फॉर्म में एनबीआरआई ने सिंदूर बनाया है जिसे आसानी से महिलाएं अपनी मांग में लगा सकती हैं और इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ेगा. आमतौर पर रीति रिवाज के हिसाब से महिलाएं शादी के बाद मांग में सिंदूर जरूर लगाती हैं. ऐसे में बाजार में जो सिंदूर उपलब्ध होते हैं. वह सिंथेटिक होते हैं. दरअसल, सिंथेटिक सिंदूर लगाने से महिलाओं के बाल झड़ते हैं साथ ही स्किन कैंसर जैसे बड़े रोग होने की भी संभावनाएं बढ़ जाती हैं.
NBRI के वैज्ञानिकों ने बनाया वेस्ट मटेरियल से हर्बल सिंदूर का नया फार्मूला - एनबीआरआई चीफ साइंटिस्ट एसके तिवारी
मंदिरों के वेस्ट फ्लावर्स से राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने हर्बल सिंदूर बनाया है. दरअसल, आजकल की महिलाएं लिक्विड सिंदूर लगाना काफी पसंद करती हैं तो इस तरह का भी लिक्विड फॉर्म में एनबीआरआई ने सिंदूर बनाया है जिसे आसानी से महिलाएं अपनी मांग में लगा सकती हैं और खास बात यह है कि इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ेगा.
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एनबीआरआई के चीफ साइंटिस्ट एसके तिवारी ने बताया कि फ्लोरी कल्चर मिशन के तहत एनबीआरआई के सांइटिस्ट व टीम ने मिलकर मंदिरों के वेस्ट फ्लावर मटेरियल से हर्बल सिंदूर बनाया हैं. फ्लोरीकल्चर मिशन के तहत कई एक्टिविटीज हम करते रहते हैं. इसमें से एक यह भी है कि वेस्ट फ्लावर्स जो बिक नहीं पाते हैं या मंदिरों से वेस्ट फ्लावर्स को कलेक्ट करके उससे लैब में रंगों को बनाते है. इसी के तहत हर्बल सिंदूर भी इस योजना के तहत बना है. इसमें वैज्ञानिक महेश पाल समेत उनकी टीम का बड़ा योगदान रहा है. लगन के साथ उन्होंने इस पर काम किया है तब जाकर यह परिणाम हमारे समक्ष प्रस्तुत है.