लखनऊ : एनबीआरआई द्वारा आयोजित वन वीक वन लैब कार्यक्रम के दौरान बतौर मुख्य अतिथि मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने उत्तर प्रदेश के ई-फ्लोरा’ तथा ‘उत्तर प्रदेश के पादप संसाधन’ पुस्तक को बड़ी उपलब्धि बताया. मिश्रा ने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि किसानों की आय बढ़ाने पर ध्यान देते हुए शोध कार्य करें ताकि प्रदेश एवं देश को आत्मनिर्भर बनाने एवं उन्नति में योगदान हो सके. उन्होंने वैगानिकों से कहा कि क्या हम प्रदेश में औषधीय या अन्य रूप से महत्वपूर्ण पौधों की खेती के द्वारा ऐसा कुछ कर सकते हैं. जिससे किसानों की आय बढ़े. पादप वर्गिकी अध्ययनों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी अपार वानस्पतिक ज्ञान का भण्डार उपलब्ध है. वैज्ञानिकों को इस ज्ञान को भी सामने लाने के प्रयास किए जाने चाहिए.
वन वीक वन लैब कार्यक्रम को संबोधित करते विशेषज्ञ.
विशिष्ट अतिथि डॉ. पीवी साने ने कार्यक्रम की शुभकामनाएं दीं एवं अपने संबोधन में जैव विविधता को संपूर्णता में समझने पर जोर दिया. जिसमें पौधों का आपस में संबंध, पौधों एवं सूक्ष्म जीवों तथा, पौधों एवं कीटों के आपसी संबंध भी शामिल हैं. विशिष्ट अतिथि डॉ. एम. संजप्पा ने कहा कि सभी वैज्ञानिक संस्थानों के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी उपलब्धियों एवं कार्यों को आम जनता तक पहुंचाएं. उन्होंने कहा कि तमाम जैविक संसाधन बहुत तेजी से विलुप्त हो रहे हैं, जिनका संरक्षण बहुत आवश्यक है. हालांकि इस कार्य के लिए आवश्यक वर्गिकी विशेषज्ञ देश में बहुत तेजी से कम हो रहे हैं और इस क्षेत्र को बढ़ावा देने की नितांत आवश्यकता है.
संस्थान के निदेशक डॉ. एके शासनी ने बताया कि आज ‘पादप विविधता, वर्गिकी एवं पाद्पालय’ विषय सम्बंधित थीम पर आयोजित कार्यक्रमों में से प्रमुख रूप से भारत के राज्यों के राजकीय फूलों की सचित्र प्रदर्शनी, पादप विविधता में वर्गीकरण की द्विनाम पद्धति के जनक कैरोलस लिनियस द्वारा वर्गीकृत किए गए पौधों को प्रदर्शित करती हुई लिनियन ट्रेल, पाद्पालय में नमूनों के संरक्षण की तकनीक, पादप विविधता विभाग की उपलब्धियों, कार्यों एवं प्रकाशनों की प्रदर्शनी लगाई गई है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान भारत में पौधों पर बहुआयामी शोध करने वाला ऐसा एक संस्थान है जो वनस्पति विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों पर संपूर्णता से कार्य कर रहा है. इस प्रदर्शनी में भारत के सभी राज्यों के राजकीय पुष्पों की सचित्र जानकारी प्रदान करने वाले फोटो पॉइंट पर लोग सेल्फी लेने में काफी रुचि प्रदर्शित कर रहे हैं.
डॉ. रामानुज नारायण ने अपने संबोधन में कहा कि आज आम प्रयोग में आने वाले पॉलीमर प्रकृति से प्राप्त हो रहे हैं जिनमें पौधों से प्राप्त होने वाले पॉलीमर भी हैं. इन पॉलीमर का उपयोग विषाक्तता को कम करने एवं इनकी जुड़ाव क्षमता को नियंत्रित किया जा सके. उन्होंने कहा कि आने वाला समय जैव-विविधता जनित एवं विशेष रूप से पादप जनित उत्पादों का है. इस दौरान अतिथियों ने ‘उत्तर प्रदेश के पादप संसाधनों पर’ संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा लिखी पुस्तक का भी विमोचन किया. इसके साथ-साथ उत्तर प्रदेश के ई-फ्लोरा एवं एनबीआरआई के पाद्पालय की विवरणिका को भी जारी किया गया. इस ई फ्लोरा एवं पुस्तक में उत्तर प्रदेश के पांच हजार से अधिक पादपों की सूची एवं जानकारी प्रस्तुत की गई है.
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