लखनऊ : कोरोना काल में मानसिक बीमारियां तेजी से बढ़ीं हैं. मानसिक रोगों से निजात दिलाने में अब केजीएमयू अहम भूमिका निभाएगा. केंद्र सरकार के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (national mental health program) के तहत केजीएमयू में मानव संसाधन विकास केंद्र (Human Resource Development Center) स्थापित होगा. इसके भवन निर्माण के लिए प्रदेश सरकार ने अपने बजट में 5.77 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
मानव संसाधन विकास केंद्र (Human Resource Development Center) केजीएमयू मानसिक स्वाथ्य विभाग (KGMU Mental Health Department) के अधीन चलेगा. इसमें प्रदेशभर के डॉक्टर और कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा. इससे मानसिक रोगियों को अच्छा और समय पर इलाज मिल सकेगा. केजीएमयू अधिकारियों ने बताया कि केंद्र के लिए अलग से भवन बनेगा.
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केजीएमयू में इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिसीज को अपग्रेड किया जाएगा. इसके लिए 23 करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान किया गया है. इससे वायरस जनित बीमारियों की पहचान और इलाज हो सकेगा. संक्रामक बीमारियों का भी बेहतर इलाज होगा. अधिकारियों ने बताया कि 12.5 करोड़ रुपये से उपकरण खरीदे जाएंगे.
सरकारी अस्पताल-संस्थानों से रेफर होने वाले मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. वहीं, डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए बिना बेड-वेंटीलेटर के मरीज को भेज देते हैं. डिप्टी सीएम ने सभी सरकारी संस्थान-अस्पताल प्रभारियों को निर्देश दिए थे. मरीज को रेफर करने से पहले दूसरे संस्थान की सहमति जरूर ले. संसाधन खाली न होने पर मरीज को अपने ही संस्थान में रखे. हालांकि यह व्यवस्था अभी तक लागू नहीं हो पाई है. इसका खामियाजा गंभीर मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.
केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर (KGMU Trauma Center), लोहिया संस्थान में हर रोज करीब दस से पंद्रह मरीज दूसरे अस्पतालों से रेफर होकर आते हैं. केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर प्रभारी डॉ. संदीप तिवारी का कहना है कि दूसरे संस्थान बेड और वेंटीलेटर के बारे में पता करने बाद ही मरीजों को रेफर करें. दूसरे संस्थान की सहमति मिलने के बाद ही मरीजों को भेजना चाहिए.
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