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राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बिना किसी भी राष्ट्र का विकास संभव नहीं : डॉ. आरआर सिंह

लखनऊ के डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय और विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस आयोजन में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दर्पण में समतामूलक समावेशी शिक्षा और अध्यापक शिक्षा' पर चर्चा की गई. संगोष्ठी का आरंभ वाग्देवी की स्थिति के साथ हुआ.

एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

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Published : Feb 22, 2021, 3:14 PM IST

लखनऊ : डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय और विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई. इस बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दर्पण में समतामूलक समावेशी शिक्षा और अध्यापक शिक्षा पर चर्चा की गई. संगोष्ठी का आरंभ वाग्देवी की स्थिति के साथ हुआ. अतिथियों का अभिवादन केकेसी कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मंजुल त्रिवेदी ने किया. संगोष्ठी के संयोजक प्रोफेसर डॉ. आरआर सिंह ने अतिथियों का परिचय दिया. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा इसलिए आवश्यक है, क्योंकि बिना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के किसी भी राष्ट्र के विकास की अवधारणा संभव नहीं है.

डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया गया

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ आईएएस अजीत कुमार और सीआई दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पंकज अरोड़ा रहे. इसके बाद सभी को संगोष्ठी की मूल भावना से परिचित कराया गया. साथ ही एक डॉक्यूमेंट्री का भी प्रदर्शन किया गया.

दिव्यांगों के लिए एक रोल मॉडल हैं अजीत कुमार

प्रोफेसर आरआर सिंह ने मुख्य अतिथि अरविंद कुमार का परिचय गुजरात डेवलपमेंट मॉडल के थिंक टैंक के रूप में कराया. विशिष्ट अतिथि अजीत कुमार को प्रोफेसर आरआर सिंह ने दिव्यांगों के लिए एक रोल मॉडल बताया. उन्होंने समावेशी शिक्षा में दिव्यांगता के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक, भौगोलिक और ट्रांसजेंडर जैसे मुद्दों को भी शामिल करने की बात की.

बच्चों को अभिभावक और शिक्षक ही आगे बढ़ा सकते हैं

मुख्य वक्ता पंकज अरोड़ा ने कहा कि सिर्फ अभिभावक और शिक्षक ही ऐसे हैं, जो किसी भी बच्चे को आगे बढ़ता देखना चाहते हैं. उनसे किसी भी प्रकार का कोई द्वेष नहीं रखते हैं. उन्होंने बताया कि विद्या भारती ने लगातार वीडियों ट्यूटोरियल्स आदि के माध्यम से नई शिक्षा नीति को जन-जन तक पहुंचाया है. साथ ही समावेशी शिक्षा सब को एक साथ लेकर चलने की बात करती है. भारत विविधता युक्त देश है. विश्वविद्यालय के बारे में उन्होंने बताया कि मात्र 5 विद्यार्थियों से इसकी शुरुआत हुई थी. इस विश्वविद्यालय में 11 वर्षों में विद्यार्थियों की संख्या 5000 तक पहुंच गई है.

सभी के साथ होनी चाहिए दिव्यांग व्यक्तियों की शिक्षा
पंकज अरोड़ा ने ट्रांसजेंडर नई शिक्षा नीति में ट्रांसलेटर साइन लैंग्वेज की चर्चा का वर्णन किया. साथ में टीचर एजुकेशन को इन्होंने एजुकेशन सिस्टम के बैकबोन के रूप में बताया. उन्होंने कहा कि समावेशी शिक्षा समिति समानता पर आधारित है. दिव्यांग व्यक्ति के लिए शिक्षा की अलग व्यवस्था क्यों होनी चाहिए.

साइन लैंग्वेज को शामिल किया जाए

संविधान में हर बच्चे को सीखने का अधिकार है. बस उनके सीखने का तरीका अलग अलग होता है. कार्यक्रम में इक्विटी इंक्लूजन डायवर्सिटी विषय पर चर्चा की गई. साथ ही साइन लैंग्वेज को टीचर एजुकेशन के सभी कोर्समें शामिल किया जाएं.

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