लखनऊ : चिकित्सक धरती पर भगवान का दूसरा रूप हैं, अगर धरती पर चिकित्सक न होते तो मरीजों का इलाज संभव नहीं था. इससे मानव जीवन संकट में पड़ जाता. चिकित्सकों ने इस पेशे को सेवाभाव से देखा. शहर के कई चिकित्सक ऐसे हैं जो अपने पेशे को निष्ठापूर्वक कर रहे हैं. सरकारी नौकरी में होने के बावजूद मानवता की सेवा को प्राथमिकता देते हैं. वह ड्यूटी टाइम से इतर भी लोगों की सेवा में रहते हैं.
ईटीवी भारत ने राजधानी की कुछ ऐसे चिकित्सकों से बातचीत की, जिनका मूल उद्देश्य मरीजों की सेवा करना है. आज चिकित्सक से जानेंगे उनके ही मन की बात. चिकित्सक हमेशा मरीजों से अभिभावक की तरह पेश आते हैं. जिन मरीजों को उनके घर वाले भी हाथ लगाने से पीछे हट जाते हैं, ऐसे मरीजों की भी वे दिन रात सेवा कर उन्हें नई जिंदगी देते हैं. कोरोना काल में चिकित्सकों ने रात दिन लोगों की सेवा में डटे रहकर एक मिसाल पेश की. कई चिकित्सकों ने तो अस्पताल को ही घर बना लिया. ऐसे करते हुए कई चिकित्सक संक्रमित भी हुए. चिकित्सा पेशे के साथ ही सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. ऐसे चिकित्सकों की राजधानी में एक बड़ी संख्या हैं.
'पहली प्राथमिकता मरीज' :सिविल अस्पताल के निदेशक नरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि 'जब से मेडिकल में चयनित हुए हैं तब से लेकर अभी तक अब हम मरीजों के लिए समर्पित हैं. मरीजों की सेवा करना अच्छा लगता है. हमारी सेवा 24 घंटे मरीजों के लिए है. कोविड काल में तो अस्पताल को ही घर बना लिया था. अस्पताल में आने वाले मरीजों को तत्काल इलाज मिल सके, इसके लिए स्टॉफ के संपर्क में रहता हूं. मरीजों की एक मुस्कान राहत देती है. अगर मैं बाहर भी होता हूं तो भी कोशिश रहती है कि किसी मरीज को दिक्कत न हो. मोबाइल पर बात होने पर भी उसकी समस्या को दूर करने की कोशिश की जाती है. मरीजों के आगे खुद के बारे में सोचना नहीं हो पाता है, कोशिश यही होती है कि जो भी मरीज हमारे पास आ रहा है, उसे अच्छे से ट्रीटमेंट मिल जाए और वह ठीक हो जाए.