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जानिए...बाबरी विध्वंस मामले में कौन-कौन है आरोपी, किस पर है क्या आरोप

बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत कुछ देर में अपना फैसला सुनाएगी. मौजूदा समय में 32 आरोपियों के विरुद्ध अदालत में भिन्न-भिन्न आरोप में विचारण किया गया. सीबीआई ने अपनी संयुक्त चार्जशीट सीट में आरोपियों के विरुद्ध अलग-अलग आरोप लगाए हैं. 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों की भीड़ ने बाबरी मस्जिद के ढांचे को ढहा दिया था.

बाबरी ढांचा विध्वंस मामला
बाबरी ढांचा विध्वंस मामला

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Published : Sep 30, 2020, 11:54 AM IST

लखनऊ: बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में सीबीआई ने अपनी विवेचना के उपरांत मामले के 49 आरोपियों के विरुद्ध बलवा और लूटपाट तक की 6 से अधिक धाराओं में विशेष अदालत के समक्ष आरोप पत्र दाखिल किया है. जिसमें विजय राजे सिंधिया को मृत दर्शाया गया है. मौजूदा समय में 32 आरोपियों के विरुद्ध अदालत में भिन्न-भिन्न आरोप में विचारण किया गया. जिनके भाग्य का फैसला विशेष अदालत के न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव की कलम से कुछ देर में होगा.

आरोपियों पर यह हैं आरोप
विशेष अदालत के समक्ष सीबीआई ने अपनी संयुक्त चार्जशीट सीट में आरोपियों के विरुद्ध अलग-अलग आरोप लगाए हैं. जिनमें रामचंद्र खत्री, संतोष दुबे, अमरनाथ गोयल, सुधीर कक्कर, जय भान सिंह पवैया, प्रकाश शर्मा, विनय कुमार राय, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर, वर्तमान बीजेपी सांसद लल्लू सिंह, रामजी गुप्ता, कमलेश त्रिपाठी, गांधी यादव, हरगोविंद सिंह, विजय बहादुर सिंह, नवीन भाई शुक्ला, रमेश प्रताप सिंह एवं आचार्य धर्मेंद्र देव के विरुद्ध आरोप पत्र में भारतीय दंड संहिता की धारा 147 ,149, 332 ,338, 395 ,153 ए, 153 बी, 295, 295 ए, 505 201 एवं 120 बी के तहत केस दर्ज है. इन लोगों पर विधि विरुद्ध जमावड़ा करने, पांच से अधिक लोगों की भीड़ इकट्ठा करने, धार्मिक स्थल को नष्ट करने, वर्ग विशेष की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, सरकारी काम में बाधा पहुंचाने, ईंट पत्थर फेंककर हमला करने, लूटपाट करने, दंगा कराने के उद्देश्य से बलवा कराने, दो वर्गों के बीच शत्रुता पैदा करने, राष्ट्रीय एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला भाषण देने, साक्ष्य मिटाने, षड्यंत्र रचने एवं झूठा बयान देकर अफवाह फैलाने का आरोप है.

जबकि पूर्व सांसद पवन कुमार पांडे एवं बृजभूषण शरण सिंह के साथ-साथ जय भगवान गोयल एवं ओम प्रकाश पांडे के विरुद्ध धारा 147, 149 ,332, 338 ,153 ए, 153 बी, 201, 295 ,295 ए, 505 एवं 120 बी भारतीय दंड संहिता का आरोप लगाया गया है. इन सभी आरोपियों पर विधि विरुद्ध जमावड़ा, भीड़ का हुजूम इकट्ठा करना, धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाना, दो समुदायों के बीच धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना, सरकारी काम में बाधा एवं ईंट पत्थर फेंक कर हमला करना, दो वर्गों में शत्रुता पैदा करना, राष्ट्रीय एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला भाषण देना, सबूत मिटाना, झूठा बयान देकर अफवाह फैलाना एवं अपराधिक षड्यंत्र रचने का आरोप है.

अदालत में दाखिल आरोपपत्र में महाराज स्वामी साक्षी के विरुद्ध भी समान आरोप लगाए गए हैं. उन्हें भी इन्हीं आरोपियों के समान आरोपों से आरोपित किया गया है. परंतु सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह एवं उमा भारती के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी सपठित धारा 147, 149 ,153 ,153 ए, एवं 153 बी के तहत केस दर्ज है. इन सभी लोगों पर विधि विरुद्ध जमावड़ा, भीड़ इकट्ठा करना, दंगा कराने के उद्देश्य से बलवा कराना, दो वर्गों में शत्रुता पैदा करना एवं राष्ट्रीय एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला भाषण देने और षड्यंत्र रचने का आरोप है.

इसी प्रकार अन्य आरोपियों में सतीश प्रधान, डॉ राम विलास वेदांती, चंपत राय बंसल, महंत नृत्य गोपाल दास एवं धर्मदास के विरुद्ध भी भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 149, 153 ए, 153 बी, 295, 295 ए एवं 120 बी के तहत विधि विरुद्ध जमावड़ा, भीड़ एकत्रित करना, धार्मिक स्थल को क्षति पहुंचाना, वर्ग विशेष के बीच धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना, दो वर्गों में शत्रुता पैदा करना एवं राष्ट्रीय एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला भाषण देने और षड्यंत्र रचने का आरोप है.

जबकि घटना के समय जिला मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात रवींद्र नाथ श्रीवास्तव (आरएन श्रीवास्तव) के विरुद्ध धारा 153 ए ,295 295 ए, 201, 505, 114 एवं 120 बी भारतीय दंड( संहिता दो वर्गों में शत्रुता पैदा करना ,धार्मिक स्थल को नष्ट करना, वर्ग विशेष की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना ,झूठा बयान देकर अफवाह फैलाना, किसी अपराध का दुष्प्रेरण किए जाने के समय वहां पर उपस्थित रहने के अलावा अपराधिक षड्यंत्र रचने का आरोप है. पूर्व जिला मजिस्ट्रेट आर एन श्रीवास्तव मौजूदा समय में 80 वर्ष से अधिक आयु के हो चुके हैं. विशेष अदालत इन सभी आरोपियों पर आज अपना फैसला सुनाएगी. जिनमें से यदि कोई वृद्ध आरोपित न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित न हो पाएगा. तब वह अपने मुकदमे के निर्णय को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुन सकेगा.

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